किसानों को मिले 25 करोड़ से ज्यादा मृदा स्वास्थ्य कार्ड, केंद्र ने जारी किए 1,706 करोड़ रुपये
अब तक इस योजना के तहत देशभर में 25 करोड़ से ज्यादा मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को बांटे जा चुके हैं. इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को 1,706 करोड़ रुपये की मदद दी है, ताकि किसान अपनी जमीन की मिट्टी को समझ सकें और खाद खाद्यान्न का संतुलित उपयोग कर सकें.
खेती की असली ताकत खेत की मिट्टी होती है. अगर मिट्टी स्वस्थ है तो फसल भी अच्छी होगी और किसान की आमदनी भी बढ़ेगी. इसी सोच के साथ साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme) शुरू की थी. अब तक इस योजना के तहत देशभर में 25 करोड़ से ज्यादा मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को बांटे जा चुके हैं.
इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को 1,706 करोड़ रुपये की मदद दी है, ताकि किसान अपनी जमीन की मिट्टी को समझ सकें और खाद खाद्यान्न का संतुलित उपयोग कर सकें.
क्या है मृदा स्वास्थ्य कार्ड?
मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) एक तरह की रिपोर्ट होती है, जो किसान को उसकी जमीन के लिए दी जाती है. इसमें मिट्टी की 12 महत्वपूर्ण खूबियों की जांच की जाती है-
- नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, सल्फर (मुख्य पोषक तत्व)
- जिंक, आयरन, कॉपर, मैंगनीज, बोरॉन (सूक्ष्म पोषक तत्व)
- pH, EC (बिजली चालकता), ऑर्गेनिक कार्बन
कार्ड के जरिए किसान को साफ पता चलता है कि उसकी मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी है और किस उर्वरक या जैविक खाद की जरूरत है. यह कार्ड हर 2 साल में अपडेट किया जाता है.
किसानों को मिलेगा सीधा फायदा
इस योजना का सबसे बड़ा फायदा है खादों का सही और संतुलित उपयोग. पहले किसान अक्सर जरूरत से ज्यादा रासायनिक खाद डाल देते थे, जिससे न केवल मिट्टी खराब होती थी बल्कि उत्पादन लागत भी बढ़ जाती थी.
अब कार्ड के जरिए किसान को पता चल जाता है कि उसकी जमीन को कितनी और किस तरह की खाद चाहिए. इससे—
- मिट्टी की उर्वरक क्षमता लंबे समय तक बनी रहती है
- फसल की पैदावार बढ़ती है
- लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है
अब तक हुआ काम
सरकार की ओर से अब तक करीब 290 लाख हेक्टेयर जमीन का मिट्टी मानचित्रण (Soil Mapping) पूरा किया जा चुका है. इनमें से 40 जिले ऐसे हैं जिन्हें ‘अस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स’ में शामिल किया गया है. इसके अलावा, 21 राज्यों में लगभग 2,000 गांव-स्तरीय मृदा उर्वरता मानचित्र भी तैयार किए गए हैं. इन मानचित्रों की मदद से किसानों को अपनी जमीन की सही स्थिति समझने और खेती के लिए बेहतर रणनीति बनाने में आसानी हो रही है.
क्यों खास है यह योजना?
साल 2015 को पूरी दुनिया में “International Year of Soils” घोषित किया गया था. इसी साल भारत सरकार ने यह महत्वाकांक्षी योजना लॉन्च की थी. शुरुआत राजस्थान के सूरतगढ़ से हुई थी और तब से अब तक यह योजना करोड़ों किसानों तक पहुंच चुकी है.
अब यह योजना राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) का हिस्सा बन चुकी है और इसका नया नाम ‘मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता (Soil Health and Fertility)’ रखा गया है.