हिमाचल प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा गेहूं की फसल की खरीद लगातार की जा रही है और अब तक 2975.40 मीट्रिक टन (MT) गेहूं की खरीद की जा चुकी है. इसके बदले में किसानों को 7.11 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. यह आंकड़ा साफ दर्शाता है कि इस बार किसान सरकारी खरीद व्यवस्था पर भरोसा कर रहे हैं.
अब तक 1344 किसानों ने विभागीय पोर्टल पर पंजीकरण करवाया है, जिसमें से 1296 किसानों के पंजीकरण की पुष्टि हो चुकी है. इनमें से 1119 किसानों को फसल बेचने के लिए टोकन जारी किए गए हैं, जिससे उन्हें केंद्र में जाकर अपनी फसल बेचने में आसानी हो रही है.
11 खरीद केंद्रों से हो रही सीधी खरीद
राज्य नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा प्रदेशभर में 11 गेहूं खरीद केंद्र बनाए गए हैं, जहां किसानों की फसल सीधे खरीदी जा रही है. इनमें धौलाकुंआ, पांवटा साहिब (सिरमौर), रामपुर, टकारला (ऊना), नालागढ़, बद्दी (सोलन), फतेहपुर, इंदौरा, रियाली, नगरोटा बगवां और बैजनाथ जैसी प्रमुख मंडियां शामिल हैं.
इन केंद्रों पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2425 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जा रहा है.
कैसे बेचें किसान अपनी फसल?
सरकार ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी बना दिया है. किसान hpappp.nic.in पोर्टल पर जाकर अपनी फसल का विवरण दर्ज करते हैं और वहीं से पंजीकरण करते हैं. पंजीकरण के बाद उन्हें एक टोकन नंबर और तिथि दी जाती है, जिस दिन वे अपनी फसल मंडी में जाकर बेच सकते हैं. इस प्रक्रिया से न केवल किसानों को अनावश्यक इंतजार से छुटकारा मिला है, बल्कि उन्हें समय पर भुगतान भी सुनिश्चित हो रहा है.
किसानों को मिली राहत, बढ़ा भरोसा
लंबे समय से फसल का सही दाम और समय पर भुगतान को लेकर किसानों में चिंता रहती थी, लेकिन इस बार सरकार की व्यवस्थाएं बेहतर साबित हो रही हैं. किसानों को उनकी मेहनत की पूरी कीमत मिल रही है और उन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाव भी मिल रहा है.