अगर लौकी के छोटे फल हो रहे हैं खराब, तो जानिए इसके पीछे की असली वजह

बरसात के मौसम में फाइटोफ्थोरा ब्लाइट और एन्थ्रेक्नोज रोग के कारण लौकी के छोटे फलों पर धब्बे बन जाते हैं और वे सड़कर गिरने लगते हैं.

Agra | Updated On: 13 Mar, 2025 | 05:18 PM

भारत में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण सब्जियों में से एक लौकी, स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है. बाजार में इसकी हमेशा मांग बनी रहती है, जिससे किसानों के लिए यह एक लाभदायक व्यवसाय बन जाता है.

इसकी खेती में कम लागत में अधिक उत्पादन होता है. लेकिन कई बार लौकी के नवजात फल सड़ कर गिरने लगते हैं, जिससे पूरी फसल बर्बाद हो सकती है. तो आइए जानते हैं किन कारणों से लौकी के छोटे फल खराब होते हैं और किसान अपनी इस फसल को समय रहते कैसे बचा सकते हैं.

लौकी के नवजात फलों के खराब होने के कारण

1. फफूंद जनित रोग
इस फसल के खराब होने के पीछे मुख्य कारण फंगल संक्रमण होते हैं, जैसे पाइथियम, फाइटोफ्थोरा एवं एन्थ्रेक्नोज. खासकर बरसात के मौसम में फाइटोफ्थोरा ब्लाइट और एन्थ्रेक्नोज रोग के कारण लौकी के छोटे फलों पर धब्बे बन जाते हैं और वे सड़कर गिरने लगते हैं.

2. जीवाणु रोग
अधिक नमी के कारण बैक्टीरियल वेट रोट जैसे रोग पनप जाते हैं, जिससे नवजात फलों में पानी से भरे धब्बे उभरते हैं, जो धीरे-धीरे सड़ने लगते हैं और बदबूदार तरल निकलने लगता है.

3. कीटों का प्रकोप
लौकी की खेती पर फ्रूट फ्लाई और रेड पंपकिन बीटल जैसे कीड़ों का सबसे ज्यादा खतरा रहता है. ये कीट नवजात फलों में छेद कर देते हैं, जिससे उनमें फफूंद और जीवाणु संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है.

4. जलवायु प्रभाव
अत्यधिक नमी, बारिश, तापमान में लगातार बदलाव और जलभराव की वजह से पौधों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं, जिससे फल खराब होने लगते हैं.

5. गलत कृषि-प्रबंधन
असंतुलित उर्वरकों का उपयोग, अत्यधिक रसायनों का प्रयोग और सही फसल प्रबंधन के अभाव में पौधों की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे फल ठीक से विकसित नहीं हो पाते.

कैसे बचाएं लौकी के नवजात फल?

बीज उपचार: बीजों को बोने से पहले कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें ताकि फफूंद जनित रोगों से बचाव हो सके.

खेत की स्वच्छता: खेत को साफ रखें और हर फसल चक्र के बाद खरपतवार को हटाए, जिससे पौधों पर रोगों का प्रकोप कम होगा.

कीट प्रबंधन: फ्रूट फ्लाई और रेड पंपकिन बीटल से बचाव के लिए फेरोमोन ट्रैप और जैविक कीटनाशकों का नियमित उपयोग करें. पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखें, ताकि उनमें पर्याप्त हवा और धूप मिल सके.

सिंचाई और जल प्रबंधन: ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाएं ताकि खेत में जलभराव न हो. अधिक आर्द्रता को नियंत्रित करने के लिए मल्चिंग और उचित सिंचाई तकनीकों का उपयोग करें.

तुड़ाई और उपज

लौकी के फल 50-60 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं. अच्छी उपज और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नियमित तुड़ाई करें. औसतन, एक हेक्टेयर क्षेत्र से किसानों को 200 से 250 क्विंटल लौकी की उपज प्राप्त हो सकती है.

यदि किसान इन जरूरी बातों का ध्यान रखें, तो वे अपनी लौकी की फसल को बेहतर बना सकते हैं और अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.

Published: 14 Mar, 2025 | 11:08 AM