झाबुआ में पहली बार शुरू हुई स्‍ट्रॉबेरी की खेती, बदल रहा आदिवासी किसानों का जीवन

स्ट्रॉबेरी की खेती से इन किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी की उम्मीद है, और यह अन्य किसानों को भी बागवानी की ओर प्रेरित करेगा. यह पहल झाबुआ जिले में खेती के नए युग की शुरुआत मानी जा सकती है.

Kisan India
Noida | Published: 19 Mar, 2025 | 11:00 PM

देश भर में अब किसान बागवानी फसलों और आधुनिक खेती के तरीकों को समझने लगे हैं. अब वे सालों से पारंपरिक खेती छोड़कर बागवानी की ओर अपने कदम बढ़ा रहे हैं. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, मध्यप्रदेश के उद्यानिकी विभाग ने किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं.

इन योजनाओं के जरिए किसानों को बागवानी फसलों के फायदे बताए जा रहे हैं. किसानों को इसे अपनाने के लिए सब्सिडी भी दी जा रही है. इसके साथ ही, केंद्र सरकार की ओर से भी किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. उद्यानिकी विभाग लगातार झाबुआ जिले के आदिवासी किसानों की मदद करते हुए बागवानी फसलों के फायदे बता रहे हैं, जिससे जुड़ी फसल की वजह से उनकी कमाई बढ़ रही है.

किसान अब उगा रहे हैं स्‍ट्रॉबेरी

झाबुआ जिले के प्रगतिशील किसानों ने पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की है. रामा ब्लॉक के तीन गांवों – भुराडाबरा, पालेड़ी और भंवरपिपलिया के आठ किसानों ने अपने खेतों में स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए हैं. स्ट्रॉबेरी एक ठंडी जलवायु की फसल है, जिसे यहां उगाने के लिए अनुकूलित तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है.

महाराष्ट्र के सतारा जिले से 5000 पौधे मंगवाकर किसानों ने अपने खेतों में 500 से 1000 पौधे लगाए हैं. किसानों के लिए, एक पौधे की कीमत केवल 7 रुपये रखी गई है. इसके साथ ही खेती के लिए किसानों को आधुनिक बागवानी तकनीकों की जानकारी भी दी जी रही है, जबकि इससे पहले इलाके में ज्वार, मक्का जैसी फसलें उगाई जाती रही हैं.

नई तकनीक का इस्तेमाल

झाबुआ के किसानों ने अपने खेत में ड्रिप और मल्चिंग तकनीक का इस्तेमाल करके 1000 पौधे लगाए हैं. वहां के किसानों का कहना है कि पहले उन्होंने बाजार में स्ट्रॉबेरी देखी थी, लेकिन खरीदने का मन नहीं हुआ. अब जब खुद उगाई, तो इसका स्वाद लिया और इसे उगाना शुरू किया.

300 रुपये किलो बिक रही है स्ट्रॉबेरी

किसानों ने अक्टूबर माह में पौधों की बुवाई की थी और केवल तीन-चार महीनों में फलों की पैदावार शुरू हो गई. वर्तमान में, बाजार में स्ट्रॉबेरी की कीमत 300 रुपये प्रति किलो है. अच्छी फसल के बाद किसान इसे बाजार में बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं.

स्ट्रॉबेरी की खेती से इलाके के किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है. इससे अन्य किसान भी बागवानी की ओर प्रेरित हो रहे हैं. इस पहल को झाबुआ जिले में खेती के नए युग की शुरुआत मानी जा सकती है.

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Published: 19 Mar, 2025 | 11:00 PM

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