कल्पना कीजिए एक मछुआरा सुबह-सुबह अपनी पुरानी नाव को लेकर तालाब की ओर निकलता है, लेकिन टूटी नाव और पुराने जाल से उसकी मेहनत उतनी सफल नहीं हो पाती. अब ऐसी तस्वीर बदलने वाली है. उत्तर प्रदेश सरकार ने पारंपरिक मछुआरों की आजीविका को बेहतर और स्थायी बनाने के लिए एक जबरदस्त योजना शुरू की है-निषादराज बोट सब्सिडी योजना. इसके तहत मछुआरों को नाव, जाल, लाइफ जैकेट और आइस बॉक्स खरीदने में 40 फीसदी तक की सरकारी सहायता मिलेगी. इससे न सिर्फ उनकी कमाई बढ़ेगी, बल्कि मछली पालन में भी नए अवसर खुलेंगे.
नाव खरीदने पर मिलेगी 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी
उत्तर प्रदेश सरकार की इस योजना के तहत अगर कोई मछुआरा 1 लाख रुपये की नाव खरीदता है, तो उसे सरकार की ओर से 40 हजार रुपये की सब्सिडी मिलेगी. यानी मछुआरे को सिर्फ 60 हजार रुपये देने होंगे. इस योजना में फाइबर रिइंफोर्स्ड प्लास्टिक (FRP) या लकड़ी की नावों के साथ-साथ मछली पकड़ने के लिए जाल, लाइफ जैकेट और आइस बॉक्स भी शामिल हैं. इससे मछुआरों को काम करने में सुरक्षा, सुविधा और गुणवत्ता तीनों मिलेगी.
आवेदन की प्रक्रिया और पात्रता
हर साल बढ़ेगी लागत, लेकिन योजना का लाभ जारी रहेगा
2022-23 में नाव की इकाई लागत 67,000 रुपये तय की गई थी, जिसमें हर वर्ष 5 फीसदी की बढ़ोतरी की जाएगी. 2026-27 तक यह लागत कुल 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती है. यदि कोई मछुआरा इससे अधिक कीमत की नाव खरीदना चाहता है, तो अतिरिक्त रकम उसे खुद वहन करनी होगी. लेकिन सब्सिडी तय लागत के अनुसार ही दी जाएगी. यानी जितना भी मूल्य बढ़े, सहायता मिलती रहेगी.
पारंपरिक मछुआरा समुदायों को दी जाएगी प्राथमिकता
इस योजना में कुल 13 पारंपरिक मछुआरा समुदायों को प्राथमिकता दी गई है. इनमें केवट, मल्लाह, निषाद, बिंद, धीमर, मांझी, कहार जैसे समुदाय शामिल हैं. यदि किसी मछुआरे के पास पहले से नाव है या उसने किसी अन्य योजना के तहत सहायता प्राप्त की है, तो वह इस योजना का लाभ नहीं ले सकता. सरकार चाहती है कि वास्तविक जरूरतमंद मछुआरे इसका फायदा उठाएं और आर्थिक रूप से सशक्त बनें.