बुवाई से पहले बीज से लेकर सिंचाई तक, गन्ने की खेती में इन बातों का रखें खास ध्यान

गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए सिर्फ मेहनत नहीं, बल्कि बुवाई से पहले की सही तैयारी और सावधानी बेहद जरूरी है. अगर किसान इन सभी बातों का ध्यान रखें तो फसल सुरक्षित रहेगी और पैदावार भी उम्मीद से ज्यादा होगी.

नोएडा | Published: 10 Jul, 2025 | 07:19 PM

गन्ने की अच्छी पैदावार सिर्फ खेत में मेहनत करने से नहीं होती, बल्कि बुवाई से पहले की गई तैयारी और सावधानी से ही इसका आधार बनता है. अगर किसान बीज से लेकर सिंचाई, उर्वरक और कीट नियंत्रण तक हर पहलू पर ध्यान दे तो फसल न केवल अच्छी होती है, बल्कि कीट और बीमारियों से भी सुरक्षित रहती है. गन्ना बोने से पहले अगर इन जरूरी बातों का ध्यान रखा जाए तो फसल मजबूत भी होगी और पैदावार भी उम्मीद से ज्यादा मिलेगी.

बीज का सही चुनाव और शोधन है जरूरी

गन्ने की बुवाई  में सबसे पहले काम आता है बीज का चुनाव। बीज के रूप में गन्ने का ऊपरी एक-तिहाई हिस्सा सबसे अच्छा माना जाता है. बीज काटते समय ध्यान दें कि कोई भी टुकड़ा लाल या सड़ा-गला न हो, क्योंकि ऐसा बीज फसल को नुकसान पहुंचा सकता है.बीज को बोने से पहले उसका शोधन यानी उपचार करना जरूरी है. इसके लिए गन्ने के टुकड़ों को किसी पारायुक्त (फंगीसाइड) रसायन जैसे बोर्डो मिक्सचर या फॉरमेलिन में करीब 5 मिनट तक डुबोकर रखें. इसके बाद ही उसे खेत में बोएं. यह प्रक्रिया बीज जनित रोगों से बचाव करती है.

खेत की तैयारी और बुवाई में रखें दूरी का ध्यान

गन्ने की बुवाई करते समय यह जरूर ध्यान रखें कि एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति के बीच कम से कम 3 फीट की दूरी हो. इससे पौधों को बढ़ने और फैलने के लिए भरपूर जगह मिलती है. साथ ही, खेत की जुताई अच्छे से करें और उसे समतल बनाएं, ताकि नमी और खाद पूरे खेत में बराबर फैले और फसल अच्छी हो.

सिंचाई का सही समय ही है सबसे कारगर

मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गन्ने की फसल में सही समय पर सिंचाई करना बहुत जरूरी होता है. अगर आपके पास एक बार पानी देने की सुविधा है तो बुवाई के 60 दिन बाद यानी फसल की संस्थापन अवस्था में सिंचाई जरूर करें. अगर दो बार सिंचाई कर सकते हैं तो अप्रैल और जून में करें. इतना ही नहींतीन बार सिंचाई की सुविधा हो तो अप्रैल, मई और जून में पानी दें. साथ ही, सिंचाई के बाद खेत में सूखी पत्तियां बिछा देने से पानी की बचत होती है और नमी ज्यादा समय तक बनी रहती है, जिससे फसल को फायदा होता है.

उर्वरक का सही उपयोग बढ़ाएगा उत्पादन

गन्ने की फसल के लिए जैविक खाद का प्रयोग हमेशा फायदेमंद होता है. इसके साथ ही वैज्ञानिक सलाह के अनुसार प्रति हेक्टेयर 150 से 180 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 से 80 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश डालना चाहिए. यह मिश्रण फसल की अच्छी बढ़वार और मिठास के लिए जरूरी है.

कीट और रोग नियंत्रण से मिलेगी सुरक्षित फसल

गन्ने की फसल में दीमक, अंकुर वेधक, चोटी वेधक और पायरिल्ला जैसे कीटों का खतरा  बना रहता है. ऐसे में दीमक से बचाव के लिए फोरेट या एल्ड्रिन 1.3 फीसदी की मात्रा 25 किलो प्रति हेक्टेयर खेत में डालें. वहीं, अंकुर वेधक से बचने के लिए समय पर सिंचाई करें और जिन पौधों में कीट लग चुका हो, उन्हें तुरंत काट दें. सेवीडाल (25 किलो/हेक्टेयर) और कोराजेन (125 मिली/हेक्टेयर) भी असरदार दवाएं हैं. इसके अलावा, चोटी वेधक से बचाव के लिए कार्बोफ्यूरान 3जी का 30 किलो प्रति हेक्टेयर प्रयोग करें.अगर काना रोग हो तो उससे बचने के लिए साफ और उपचारित बीज का ही उपयोग करें. वहीं, पायरिल्ला रोग से बचाव के लिए मोनोक्रोटोफास 375 मिली को 1250 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.

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