UP में गाय-भैंस की देसी नस्लें खत्म होने की कगार पर, खुरपका- मुंहपका रोग से मिलेगी मुक्ति
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब 2017 में उनकी सरकार बनी, तब पशुओं की नस्ल सुधार की दिशा में कोई खास काम नहीं हुआ था. हालात ये थे कि कई पशु सड़कों और खेतों में खुले घूमते
Animal Husbandry: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि खेती और पशुपालन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और हमें देसी नस्लों पर खास ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसान की समृद्धि के बिना देश की समृद्धि संभव नहीं है. भारत में खेती और पशुपालन हमेशा से एक-दूसरे से जुड़े रहे हैं. जो किसान अनाज उगाता है, उसके घर में मवेशी भी होते हैं, और जो पशुपालक होता है, वो भी खेती से जुड़ा होता है. उन्होंने देसी पशु नस्लों के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि आज कई देसी नस्लें खत्म होने की कगार पर हैं.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, योगी आदित्यनाथ लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में ‘भारत में पशु नस्लों का विकास’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे. इस मौके पर उन्होंने गोरखपुर में ‘कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण संस्थान’ का उद्घाटन किया और अमेठी, बरेली और मथुरा में पशुपालन से जुड़ी तीन परियोजनाओं की शुरुआत की. ये सभी योजनाएं पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास निधि के तहत शुरू की गई हैं. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि डबल इंजन की सरकार की कोशिशों से उत्तर प्रदेश आज दूध उत्पादन में देश का नंबर एक राज्य बन गया है.
देसी नस्लें खत्म होने की कगार पर
उन्होंने देसी पशु नस्लों के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि आज कई देसी नस्लें खत्म होने की कगार पर हैं. अगर हम इन पर ध्यान देंगे, तो यह पशुपालकों के लिए स्थायी आमदनी का जरिया बन सकती हैं. उन्होंने उन लोगों की सराहना की जो देसी तरीकों से नस्ल सुधार का काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पशुओं में होने वाली खुरपका- मुंहपका (FMD) बीमारी से निपटने में केंद्र सरकार मदद कर रही है. उन्होंने कहा कि अगर हम अपने पशुओं को FMD से मुक्त कर देते हैं, तो यह पशुपालकों की जिंदगी में खुशहाली लाएगा.
14 लाख से ज्यादा गायों की देखभाल
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब 2017 में उनकी सरकार बनी, तब पशुओं की नस्ल सुधार की दिशा में कोई खास काम नहीं हुआ था. हालात ये थे कि कई पशु सड़कों और खेतों में खुले घूमते थे या फिर कटघरों में भेज दिए जाते थे. इससे किसानों की फसलों को नुकसान होता था और सड़क हादसे भी होते थे. उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में 14 लाख से ज्यादा गायों की देखभाल गोशालाओं और सरकार की मदद से पशुपालक कर रहे हैं. साथ ही, उत्तर प्रदेश गौसेवा आयोग को बेसहारा गायों की देखभाल और गोशालाओं की व्यवस्था सुधारने की जिम्मेदारी दी गई है.