बकरियों के लिए आफत है बरसात का मौसम! ये 5 रोग ले सकते हैं जान.. बचाव के लिए करें ये उपाय
बरसात में बकरियों के बीमार पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है. उन्हें बारिश के दौरान पीपीआर, निमोनिया, चेचक, पेचिश और खुरपका-मुंह पका जैसी पांच बीमारियों का खतरा बहुत रहता है.
Goats Diseases : मौसम में बदलाव का असर जानवरों पर गंभीर रूप भी पड़ता है. क्योंकि बरसात में कई तरह की मौसमी बीमारियां अपने- आप जन्म लेती हैं. ये अधिकांश बीमारियां संक्रमण वाली होती हैं, जो एक मवेशी से दूसरे मवेशियों में तेजी से फैलती हैं. अगर समय रहते मवेशियों का इलाज नहीं किया गया, तो कई बार उनकी मौत हो जाती है. खास कर बरसात के मौसम में दुधारू मवेशियों को अच्छी तरह से देखरेख करनी चाहिए. नहीं तो बीमार पड़ने पर उनका दूध उत्पादन कम हो जाता है.
अगर आप बकरी पालक हैं, तो आपको और ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. क्योंकि बकरियों में रोग से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है. बरसात में पानी से भींगने पर बकरियों की तबीयत खराब हो जाती है. खास कर बकरियों को सर्दी-खांसी और जुकाम बहुत जल्दी अपनी चपेट में लेते हैं. इसलिए बरसात में बकरियों को पांच रोगों से बचाना बहुत जरूरी है.
बकरियों की सही तरह करें देखरेख
एक्सपर्ट के मुताबिक, बरसात में बकरियों के बीमार पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है. उन्हें बारिश के दौरान पीपीआर, निमोनिया, चेचक, पेचिश और खुरपका-मुंह पका जैसी पांच बीमारियों का खतरा बहुत रहता है. इसलिए बरसात के दौरान पशुपालकों को बकरियों की अच्छी तरह से देखरेख करनी की जरूरत होती है. वरना उनमें इन पांच रोगों की चपेट में आने की संभावना बनी रहेगी. इसलिए बकरियों को बारिश के मौसम में गीला चारा या पानी में भींगी हुई घास भूलकर भी नहीं खिलाएं. इससे उनकी तबीयत बिगड़ सकती है. साथ ही इन रोगों से बचाने के लिए बकरियों के समय-समय पर टीका लगवाएं और उनके बांधने के स्थान पर साफ-सफाई रखें. तो आइये जानते हैं इन रोगों के बारे में.
बकरियों के लिए खतरनाक हैं ये 5 गंभीर रोग
निमोनिया: जैसे इंसानों को निमोनिया हो जाता है, वैसे ही बकरियों को भी हो सकता है. जब बकरी बारिश में ज्यादा भीग जाती है, तो उसे सांस लेने में दिक्कत होती है. उसे खांसी आती है और वह चारा खाना बंद कर देती है. ये सब निमोनिया के लक्षण हो सकते हैं.
पीसीआर: बकरियों के लिए यह बहुत ही घातक बीमारी है. यह एक तरह की महामारी वाली बीमारी है. इसकी चपेट में आने पर बकरियों के मुंह में छाले पड़ जाते हैं और तेज बुखार आते हैं. साथ ही आंख और नाक से पानी बहने लगता है. कई बार तो उनकी मौत तक हो जाती है.
खुरपका- मुंह पका: खुरपका- मुंह पका एक संक्रमण वाली बीमारी है. यानी यह बीमारी एक बकरी से अन्य बकरियों में तेजी से फैलती है. इस रोग की चपेट में आने पर बकरियों के मुंह और खुर में छाले पड़ जाते हैं. साथ मुंह से लार टपकने लगती है. छाले पड़ने की वजह से मुंह और खुर में घाव बन जाते हैं. इससे उन्हें चलने में तकलीफ होती है. साथ ही बकरियां चारा खाना भी छोड़ देती हैं.
पेचिश: जैसे इंसानों को पेचिश होती है, वैसे ही बकरियों को भी हो सकती है. इस बीमारी में बकरी को पतले दस्त लगते हैं, कभी-कभी खून और बदबू भी आती है. बकरी को बार-बार प्यास लगती है.
चेचक: इंसान की तरह बकरियों को भी चेचक होता है. इससे उसके शरीर पर लाल रंग के चकत्ते बन जाते हैं. फिर ये चकत्ते फफोले को रूप ले लेते हैं. फफोले के फूटने पर घाव हो जाता है. इससे बकरियों की परेशानी होती है.
बीमारी से बचाव के तरीके
वहीं, पशु एक्सपर्ट का कहना है कि बारिश के मौसम में बकरियों को बीमारियों से बचाने के लिए उनका टीकाकरण जरूरी है. इसके लिए नजदीकी पशु चिकित्सालय से संपर्क करें. सरकार की ओर से टीकाकरण के लिए अभियान भी समय-समय पर चलाया जाता है, जिसमें पशुपालक अपने जानवरों को मुफ्त में टीका लगवा सकते हैं. बकरियों को साफ, ताजा और पौष्टिक चारा खिलाएं, ताकि वे सेहतमंद और मजबूत बनी रहें.