इस बरसाती बीमारी से पशुओं की होती है मौत, जानें लक्षण और बचाव के उपाय

बारिश में कीचड़ और नमी के कारण गौशाला में मक्खियों और मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है. इस मौसम में संक्रमण तेजी से फैलता है. ऐसे में पशु बहुत सारी बीमारियों का शिकार हो सकते हैं.

नोएडा | Updated On: 16 Aug, 2025 | 06:14 PM

मॉनसून का समय वैसे तो बड़ा सुहाना होता है. लेकिन इस मौसम में ज्यादा बारिश के कारण समस्याएं होने लगती हैं. इंसान हो या पशु, इस मौसम में दोनों को अनेक बीमारियां होने की आशंका रहती है. लेकिन पशुपालकों के लिए बारिश का समय काफी चुनौतिपूर्ण होता है. बारिश में कीचड़ और नमी के कारण गौशाला में मक्खियों और मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है. इस मौसम में संक्रमण तेजी से फैलता है. ऐसे में पशु बहुत सारी बिमारियां का शिकार हो सकते हैं. बीमारी के कारण पशुओं में पोष्क तत्वों की कमी हो जाती है. इसे दूध उत्पादन पर असर पड़ता है. वहीं, कभी-कभी बीमारी के चलते मवेशियों की मौत तक हो जाती है.

आपको बता दें कि बरसात के मौसम ऐसा ही एक खतरनाक रोग पशुओं को होता है, जिसे थनैला रोग कहते हैं. बदलते मौसम में पशुओं में सूजन, कड़ापन और दर्द थनैला रोग के प्रमुख लक्ष्ण हैं. थनैला रोग के कई प्रकार होते हैं, जिससे पशुओं की मौत भी हो जाती है. ऐसे में आप यदि पशुपालक हैं या पशुपालन में रुचि रखते हैं तो यह खबर आपके लिए है. इस खबर में हम आपको थनैला रोग के लक्ष्ण से लेकर रोगथाम तक पूरे विस्तार से बताने जा रहे हैं.

क्या हैं थनला रोग के लक्षण

इस रोग में पशुओं के थन सूजकर गर्म और सख्त  हो जाता हैं. साथ ही दुधारू पशुओं के थन से दही जैसा जमा दूध निकलता है. कई दफे तो दूध के साथ खून भी निकलता है. वहीं दूध के रंग की बात करें तो गंदा और भूरे रंग का हो जाता है और दूध से तेज दुर्गन्ध भी आने लगती है. इसके साथ ही पशुओं की थन में छोटे आकार की गांठे पड़ जाती हैं. साथ ही पशुओं में तेज बुखार आना भी इस रोग के प्रमुख लक्ष्ण है. आपको बता दें कि तेज बुखार के कारण पशुओं में पोष्क तत्वों की कमी हो जाती है और कुछ समय बात उनकी मौत हो जाती है.

थनैला रोग के प्रमुख कारण

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,  जानकार बताते हैं कि थनैला रोग के कई सारे कारण हैं. यह रोग विषाणु, जीवाणु माइक्रोप्लाजमा और कवक के कारण फैलता है. कुछ प्रमुख कारण निम्मलिखित हैं-

1. संक्रमित पशु के संपर्क में आने से स्वस्थ्य पशु इस रोग के शिकार हो जाते हैं.

2. दूध निकालने वाले के गंदे हाथों से भी संक्रमण फैलता है.

3. पशुशाला में गंदगी होने से रोग के संक्रमण का चांस ज्यादा हो जाता है.

4. अनियमित रुप से दूध दुहने और थन में चोट लगना इस रोग के अन्य कारण हैं.

रोकथाम और बचाव

1. पशुओं के खाने-पीने का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि चारे में खनिज पदार्थ और विटामिन की कमी पशु को थनैला रोग के लिए अधिक संवेदनशील बना सकती हैं. चारा में विटामिन ई की मात्रा में मिनर्ल्स मिलाकर खिलाना चाहिए.

2. मक्खियों और मच्छरों से प्रकोप से बचने के लिए उचित साफ- सफाई पशुओं के आवास में जरुरी है.

3. दूध निकालने से पहले हाथ अच्छे से धो लें.

4. दूध साफ बर्तन में ही निकालें.

5. दूध निकालने से पहले और बाद में थन को लाल दवा से साफ कर दें.

6. दूध निकालने के आधे घंटे तक पशु को बैठने नहीं,  दें क्योंकि दूध निकालने के कुछ समय बाद तक थन के छिद्र खुले रहते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बना रहता है.

Published: 16 Aug, 2025 | 06:10 PM

Topics: