राजस्थान में डेयरी सेक्टर में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, दो साल में 8 से 10 हजार करोड़ तक पहुंचा कारोबार

Deyaree Sektar : राजस्थान में डेयरी और पशुपालन सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है. सरकार की योजनाओं और मजबूत सहकारी नेटवर्क की वजह से दूध कारोबार, प्रोसेसिंग क्षमता और यूनिटों के मुनाफे में बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इस विकास से किसानों की आय बढ़ी है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिली है.

नोएडा | Published: 8 Dec, 2025 | 01:59 PM

Rajasthan News : राजस्थान सरकार के लगातार प्रयासों का असर अब साफ दिखाई देने लगा है. डेयरी और पशुपालन सेक्टर, जो कभी कई चुनौतियों से घिरा रहता था, आज तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. जयपुर से जारी मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) की रिपोर्ट बताती है कि पिछले दो वर्षों में दूध उत्पादन, प्रोसेसिंग और सहकारी नेटवर्क में ऐतिहासिक सुधार देखने को मिला है. इससे न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ी है, बल्कि राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई ताकत मिली है.

दो साल में 8,000 करोड़ से 10,000 करोड़ का टर्नओवर

राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) के अनुसार, दूध उत्पादन  (Milk Production) और कैटल फीड से होने वाला कुल सालाना कारोबार दो साल में 8,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 10,000 करोड़ रुपये पहुंच गया है. यह वृद्धि दिखाती है कि डेयरी सेक्टर अब राज्य की अर्थव्यवस्था  का मजबूत स्तंभ बन चुका है. सरकार का मानना है कि सहकारी ढांचे को मजबूत करने और गांव-गांव तक डेयरी सुविधाएं पहुंचाने का सीधा फायदा किसानों को मिला है.

घाटे में चल रही डेयरी यूनिटें अब लाभ में

कुछ साल पहले तक राजस्थान की कई सहकारी दूध यूनिटें घाटे में चल रही थीं, लेकिन अब तस्वीर पूरी बदल चुकी है. CMO के अनुसार-

यह बदलाव इस बात का प्रमाण है कि सरकार के सुधार करने वाला कदम और पारदर्शी सिस्टम ने डेयरी सहकारिताओं  को नई जान दे दी है.

प्रोसेसिंग क्षमता 48 लाख लीटर से बढ़कर 54 लाख लीटर प्रतिदिन

राजस्थान सरकार ने दूध प्रोसेसिंग की क्षमता  को बढ़ाने पर भी जोर दिया है. पिछले दो वर्षों में-

इतनी बड़ी क्षमता का मतलब है कि किसानों से अधिक मात्रा में दूध खरीदा जाएगा और उन्हें बेहतर दाम मिलेंगे.

RCDF ने बनाया 1,000 करोड़ का डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर फंड

राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (RCDF) ने राज्य के डेयरी सेक्टर  को और मजबूत बनाने के लिए 1,000 करोड़ रुपये का विशेष फंड तैयार किया है. इस फंड के माध्यम से नए डेयरी प्लांट स्थापित  किए जाएंगे और पुराने प्लांट्स का आधुनिकीकरण किया जाएगा. इसके साथ ही कोल्ड चेन और चिलिंग सेंटर का विस्तार किया जाएगा, ताकि दूध की गुणवत्ता बनी रहे और उसका परिवहन आसान हो. फंड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा गांवों में दूध संग्रह केंद्रों की संख्या बढ़ाने पर भी खर्च किया जाएगा. इन पहलों से किसानों को सीधे रोजगार मिलेगा और उनकी आय में भी वृद्धि होगी.

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