देसी लुक वाली हाइब्रिड मुर्गी किसानों की पहली पसंद बनी, कम खर्च में दे रही दोगुना मुनाफा
सोनाली मुर्गी इन दिनों किसानों के लिए आय का मजबूत साधन बन गई है. देसी लुक, तेज ग्रोथ और कम चारे में अधिक उत्पादन के कारण इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है. अंडे और मांस दोनों में किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, जिससे छोटे स्तर पर पोल्ट्री फार्मिंग भी लाभदायक साबित हो रही है.
Sonali Chicken : गांवों और छोटे शहरों में इन दिनों जिस मुर्गी की चर्चा सबसे ज्यादा होती है, वह है सोनाली मुर्गी. दिखने में यह पूरी तरह देसी लगती है, लेकिन इसकी उत्पादन क्षमता ब्रायलर से भी अधिक मानी जाती है. किसानों के लिए यह एक ऐसा मौका है जिससे कम लागत में ज्यादा कमाई की जा सकती है. सोनाली मुर्गी वैज्ञानिक रूप से तैयार की गई एक हाइब्रिड नस्ल है, जिसे रोड आइलैंड रेड और डेजी लेघॉर्न नस्लों को मिलाकर बनाया गया है. इसकी ग्रोथ तेज, सेहत मजबूत और अंडा उत्पादन शानदार माना जाता है. यही वजह है कि यह मुर्गी आज बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कई दक्षिण भारतीय राज्यों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है. किसान इसे इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि यह देसी दिखती है, देसी स्वाद देती है, लेकिन फायदा आधुनिक नस्लों जैसा देती है.
सोनाली मुर्गी की खास खूबियां
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सोनाली मुर्गी अपनी कई खूबियों के कारण पारंपरिक देसी नस्लों से कहीं आगे निकल जाती है. सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बहुत कम चारे में भी बढ़िया ग्रोथ दे देती है. किसानों का कहना है कि यह मुर्गी घर के बचा हुआ खाना, अनाज, दाना और स्थानीय चारे से आसानी से पाली जा सकती है. मौसम चाहे गर्मी हो या ठंड, सोनाली मुर्गी हर वातावरण में खुद को अच्छे से ढाल लेती है. अचानक मौसम परिवर्तन होने पर भी इन पर ज्यादा असर नहीं पड़ता, जिससे मृत्यु दर काफी कम रहती है. इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत मानी जाती है, जिससे दवाइयों पर होने वाला खर्च कम हो जाता है. यह मुर्गी 2-3 महीनों में 1.5 से 2 किलो तक वजन पकड़ लेती है, जो किसी भी किसान के लिए बड़ा फायदा है. देसी लुक और तेज ग्रोथ इसे उपभोक्ता और किसान दोनों की पसंद बना देती है.
बाजार में भारी मांग
सोनाली मुर्गी अंडा उत्पादन में भी बहुत भरोसेमंद मानी जाती है. यह एक साल में करीब 180 से 200 अंडे दे देती है, जो देसी रंग और बेहतर गुणवत्ता के कारण बाजार में आसानी से बिक जाते हैं. देसी अंडों की मांग लगातार बढ़ रही है, इसलिए किसान को 8 से 12 रुपये प्रति अंडा दाम मिल जाता है. अगर किसान सिर्फ 100 मुर्गियों का छोटा फार्म भी चलाता है, तो रोजाना 60 से 80 अंडों की बिक्री से नियमित आय मिलती रहती है. खास बात यह है कि अंडों की बिक्री में उतार-चढ़ाव बहुत कम होता है, इसलिए किसान को भरोसेमंद आय मिलती है. इसके अलावा, अंडों का रंग और स्वाद उपभोक्ता को जल्दी आकर्षित करता है, जिससे विपणन भी आसान हो जाता है. कई किसान बताते हैं कि सिर्फ अंडों की बिक्री से ही फार्म का सारा खर्च निकल आता है.
मांस उत्पादन में भी सुपरहिट
सोनाली मुर्गी मांस उत्पादन में भी शानदार मुनाफा देती है. यह मुर्गी सिर्फ तीन महीनों में ही बाजार के लायक वजन पकड़ लेती है. स्थानीय बाजारों में इसका भाव 250 रुपये से 500 रुपये तक आसानी से मिल जाता है, क्योंकि लोग इसे देसी मुर्गी जैसा मानते हैं. देसी स्वाद और बेहतर गुणवत्ता की वजह से यह ब्रायलर की तुलना में ज्यादा पसंद की जाती है. शहरों में भी होटल और रेस्तरां इसे अच्छे दाम पर खरीदते हैं. किसान बताते हैं कि सोनाली मुर्गी की बिक्री में मोलभाव बहुत कम होता है क्योंकि ग्राहक इसके स्वाद और स्वास्थ्य लाभ को समझते हैं. ग्रामीण बाजारों में तो यह हमेशा प्रीमियम रेट पर ही बिकती है, जिससे किसान को मजबूत मुनाफा मिलता है.
100 सोनाली मुर्गियों से किसान कितनी कमाई कर सकता है?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर कोई किसान 100 सोनाली मुर्गियों का फार्म शुरू करता है, तो वह बहुत कम निवेश में अधिक मुनाफा कमा सकता है. चारे का खर्च कम होने से कुल लागत नियंत्रित रहती है. अंडों की बिक्री और मांस की बिक्री दोनों को जोड़कर किसान 4 महीनों में 60,000 रुपये से 1,00,000 रुपये तक की आय आसानी से प्राप्त कर सकता है. यदि किसान अपना चारा खुद तैयार कर लेता है और दवाइयों का इस्तेमाल कम करना पड़े, तो यह मुनाफा 1.20 लाख रुपये तक भी पहुंच जाता है. छोटे किसान भी इसे कम जगह में शुरू कर सकते हैं और धीरे-धीरे विस्तार कर सकते हैं. यही वजह है कि सोनाली मुर्गी आज पोल्ट्री फार्मिंग में सबसे अधिक पसंद की जाने वाली हाइब्रिड नस्ल बनती जा रही है. कम खर्च, आसान देखभाल और उच्च उत्पादन क्षमता के कारण यह किसानों के लिए आय का मजबूत और सुरक्षित साधन बन चुकी है.