शिक्षक बना किसान.. बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ, 12 एकड़ में लगाया मैंगो फार्म
झारखंड के जामताड़ा जिले के मथुरा गांव में पेशे से शिक्षक तपन कुमार मांझी साल 1994 से पढ़ाने के साथ-साथ गांव की बंजर जमीन पर आम की बागवानी भी कर रहे हैं.
‘कौन कहता है आसमान में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों’ मशहूर कवि और लेखक दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को झारखंड के जामताड़ा जिले के एक शिक्षक ने हकीकत कर दिखाया है. दरअसल, जामताड़ा के तपन कुमार मांझी पेशे के शिक्षक हैं लेकिन आम की बागवानी करने की उनकी ललक ने बंजर जमीन को भी उपजाऊ बना दिया है. जिसपर वे सालों से आम की बागवानी करते आ रहे हैं. इतना ही नहीं, आम की बागवानी कर उन्होंने अपने क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है.
अब तक लगा चुके 800 से ज्यादा पौधे
समाचार एजेंसी प्रसार भारती के अनुसार झारखंड के जामताड़ा जिले के मथुरा गांव में पेशे से शिक्षक तपन कुमार मांझी साल 1994 से पढ़ाने के साथ-साथ गांव की बंजर जमीन पर आम की बागवानी भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अबतक वे 12 एकड़ बंजर जमीन पर 800 से ज्यादा आम के पौधे लगा चुके हैं जो अब बड़े फलदार पेड़ के रूप में तैयार हो गए हैं और साथ ही अच्छे फल भी दे रहे हैं.
बाग में हैं अलग-अलग किस्म के पौधे
शिक्षक तपन कुमार मांझी बताते हैं कि उन्होंने अपने 12 एकड़ बाग में आम की कई अलग-अलग किस्म के पौधों को लगाया है. उन्होंने बताया कि 3 से 4 साल पहले आम की जिन किस्मों के पौधे लगाए गए थे. वे आज अच्छा उत्पादन दे रहे हैं. तपन कुमार मांझी की इस पहल से आसपास के किसान भी प्रेरणा लेकर अपनी बंजर पड़ी जमीन पर आम की बागवानी कर रहे हैं, जो कि आगे जाकर उन्हें बहुत फायदा देगा. मांजी कहते हैं कि आम की बागवानी गांव के किसानों के लिए वरदान साबित होगी.
गांव के युवाओं को दिया रोजगार
तपन कुमार मांझी की इस पहल से गांव के बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार के अवसर मिले हैं. आज उनके साथ गांव के कई युवा जुड़े हुए हैं जो आम की बागवानी में उनकी मदद करते हैं. जिससे ये युवा भी आर्थिक तौर से अपने पैरों पर खड़े हो पा रहे हैं. बता दें कि इस साल आम की बागवानी से 2.5 लाख रुपये तक की कमाई हो चुकी है. बंजर जमीन पर को उपजाऊ बनाकर खेती करना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है.