बारिश ने किस तरह चौंसा, दशहरी को पहुंचाया नुकसान? 50 फीसदी कम होगा उत्पादन

अचानक बारिश और आंधियों के कारण उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में आम की फसल को भारी नुकसान हुआ है. तापमान में गिरावट से चौंसा, दशहरी की पैदावार 50 फीसदी तक घट गई है.

नोएडा | Updated On: 3 Jun, 2025 | 01:38 PM

उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के आम किसानों को इस बार मौसम की मार झेलनी पड़ रही है. दोनों राज्य देश के सबसे बड़े आम उत्पादकों में शामिल हैं, जिनमें अकेले यूपी का हिस्सा 25 फीसदी से ज्यादा है. किसानों को इस साल अच्छी फसल की उम्मीद थी, लेकिन अचानक आई बारिश और आंधियों ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, ये असामान्य मौसम आम की फसल को काफी नुकसान पहुंचा रहा है. मई और जून आम पकने के सबसे अहम महीने होते हैं. लेकिन इस बार के मौसम बदलाव से किसानों को भारी नुकसान होने की आशंका है. साथ ही आम उत्पादन में 50 फीसदी तक कमी आ सकती है.

हाल ही में सहारनपुर में आई तेज आंधी ने भारी तबाही मचाई. कई पेड़ उखड़ गए और आम जमीन पर गिरकर बर्बाद हो गए. जो आम पेड़ों पर बचे हैं, उन्हें अब लगातार बदलते तापमान से नुकसान हो रहा है, जिससे फसल पर और खतरा बढ़ गया है. इस बार खराब मौसम की वजह से उत्तर प्रदेश से आम का कोई निर्यात नहीं हो सका है. इस साल आम की फसल में भारी गिरावट आई है और वैज्ञानिकों ने इसकी बड़ी वजह मौसम को बताया है.

पैदावार 50 फीसदी से ज्यादा घट गई

विशेषज्ञों के अनुसार, आम के पकने के लिए करीब 27 डिग्री सेल्सियस का लगातार तापमान जरूरी होता है, लेकिन इस बार-बार बारिश और आंधियों के कारण तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री कम बना हुआ है. इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर चौंसा और दशहरी जैसी प्रजातियों पर पड़ा है, जिनकी पैदावार 50 फीसदी से ज्यादा घट गई है.

यूपी में सबसे ज्यादा आम की पैदावार

भारत दुनिया का सबसे बड़ा आम उत्पादक देश है और यहां करीब 1,000 तरह की किस्में उगाई जाती हैं. एपीडा (APEDA) के अनुसार, उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा आम पैदा करता है, जो कुल उत्पादन का 25 फीसदी है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत ने 32,000 टन आमों का निर्यात किया, जिससे किसानों को करीब 500 करोड़ रुपये की कमाई हुई. ये आम मुख्य रूप से खाड़ी देशों, ब्रिटेन और अमेरिका भेजे गए थे.

महाराष्ट्र में भी आम की फसल चौपट

महाराष्ट्र के किसान भी बदलते मौसम के कारण भारी नुकसान का सामना कर रहे हैं. कोंकण क्षेत्र, जो अल्फांसो जैसे खास आमों के लिए मशहूर है, वहां भी प्री-मॉनसून बारिश की वजह से उत्पादन में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है. कई किसानों ने फसल खराब होने के डर से आम जल्दी तोड़ लिए. कच्चे आम जो आमतौर पर अचार के लिए इस्तेमाल होते हैं, उन्हें मजबूरी में सस्ते दामों में बेचना पड़ा. हालांकि सरकार मदद दे रही है, लेकिन उसका असर तभी होगा जब आम पेड़ों पर टिके रहें और समय पर पक सकें.

Published: 3 Jun, 2025 | 01:33 PM