Bihar Election 2025: बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव परिवार का जिक्र हो और उसमें तेज प्रताप यादव का नाम न आए, ऐसा होना मुश्किल है. वे लालू-राबड़ी के बड़े बेटे हैं, लेकिन राजनीति में उनकी पहचान सिर्फ वंशज होने तक सीमित नहीं रही. तेज प्रताप ने खुद को एक ऐसे नेता के रूप में पेश किया है, जो कभी ‘कृष्ण भक्त’ बन जाता है, तो कभी बागी नेता और कभी सोशल मीडिया पर अपने अंदाज से खबरों में रहता है.
राजनीतिक सफर की शुरुआत
2015 में महागठबंधन की लहर पर सवार होकर तेज प्रताप यादव ने महुआ विधानसभा सीट से राजनीति में कदम रखा. पहली ही बार में जीत दर्ज की और नीतीश कुमार व लालू प्रसाद की साझा सरकार में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया. लेकिन यहां से ही उनकी यात्रा चुनौतियों और विवादों से भरी रही. विपक्ष ने अनुभवहीनता पर सवाल उठाए, जबकि समर्थकों ने उन्हें “नए युग का युवा चेहरा” कहा.

तेज प्रताप यादव राजनीतिक करियर (Photo Credit – Canva)
कृष्ण भक्त और अध्यात्म का रंग
तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) खुद को ‘कृष्ण का सच्चा भक्त’ कहते हैं. मुरली, मोरपंख और पारंपरिक वेशभूषा में उनका कृष्ण रूप कई बार मीडिया की सुर्खियां बन चुका है. वे मथुरा और वृंदावन जाकर पूजा-पाठ करते हैं और कहते हैं, “मेरी राजनीति भी श्रीकृष्ण की नीति से प्रेरित है. यानी धर्म के लिए संघर्ष.” उनके इस आध्यात्मिक रूप को जनता ने पसंद भी किया, लेकिन आलोचक कहते हैं कि “तेज प्रताप राजनीति से ज्यादा धर्म में खो जाते हैं.”

तेज प्रताप यादव (Photo Credit – Canva)
परिवार और राजनीति के बीच खिंचाव
लालू यादव (Lalu Yadav) की विरासत को आगे बढ़ाने की दौड़ में तेज प्रताप और तेजस्वी यादव की तुलना हमेशा होती रही है. तेजस्वी जहां राजनीति में व्यावहारिक और संगठित चेहरा बने, वहीं तेज प्रताप भावनाओं से भरे और बेबाक. कई बार पार्टी की मीटिंग से नाराज होकर बाहर निकल जाना, अपने बयानों से सुर्खियां बनाना- ये सब उनके बागी तेवरों को दिखाता है. हालांकि वे हमेशा कहते हैं, “तेजस्वी मेरे छोटे भाई हैं, मतभेद घर के हैं, दिल के नहीं.”
निजी जिंदगी की उठापटक
तेज प्रताप की शादी और फिर तलाक को लेकर मीडिया में खूब चर्चा रही. उस दौरान उन्होंने खुद कहा था, “मैंने सब कुछ श्रीकृष्ण पर छोड़ दिया है.” निजी परेशानियों के बावजूद उन्होंने खुद को मजबूत बनाए रखा और राजनीति से दूरी नहीं बनाई.

बिहार चुनाव 2025 (Photo Credit – Canva)
अच्छे और बुरे दोनों पहलू
तेज प्रताप के व्यक्तित्व में विरोधाभास भी है और आकर्षण भी. जहां वे जनता के बीच सादगी से मिलते हैं, वहीं सोशल मीडिया पर उनका ड्रामेटिक अंदाज सबका ध्यान खींचता है. उनके समर्थक उन्हें “जनता का सच्चा बेटा” कहते हैं, तो आलोचक मानते हैं कि वे “राजनीति को गंभीरता से नहीं लेते.”
अच्छे पहलू:
- निर्भीक और साफ-सपाट बोलने वाले नेता
- धर्म और संस्कृति से गहराई से जुड़े
- जनता के मुद्दों पर सीधे सड़क पर उतरने वाले
- मीडिया और सोशल मीडिया पर अपनी अलग पहचान
विवादित पहलू:
- अप्रत्याशित बयान और पार्टी लाइन से इतर रुख
- तेजस्वी से मतभेदों के चलते आरजेडी में दरार की चर्चाएं
- निजी विवादों के कारण राजनीतिक फोकस का बिखराव
वर्तमान भूमिका और प्रभाव
तेज प्रताप यादव अब आरजेडी के सक्रिय विधायक के रूप में नहीं माने जाते. उन्हें 25 मई 2025 को पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अनियमित व्यवहार और ‘अपर्याप्त अनुशासन’ का हवाला देते हुए छह साल के लिए आरजेडी से निष्कासित कर दिया गया.
उसके बाद तेज प्रताप ने अलग राजनीतिक मोर्चा शुरू कर ‘Team Tej Pratap’ के तहत उम्मीदवार खड़े करना शुरू किया और कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान भी किया. तेज प्रताप यादव ने मई 2025 में जनशक्ति जनता दल (JJD) की स्थापना की. उनका दावा था कि यह पार्टी “जनता की असली आवाज” बनेगी और युवाओं, किसानों तथा गरीब वर्ग के अधिकारों की लड़ाई लड़ेगी. जनशक्ति जनता दल का फोकस ‘धर्म, जनता और न्याय’ पर है. तेज प्रताप का कहना है, “हम राजनीति में सेवा और संस्कार लाना चाहते हैं. मेरी पार्टी जनता की सीधी आवाज बनेगी, दलालों की नहीं.”

तेज प्रताप यादव 2025 चुनाव (Photo Credit: Canva)
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) में जनशक्ति जनता दल पहली बार अपने उम्मीदवार उतार रही है. तेज प्रताप खुद को “बिहार के युवाओं की आवाज” के रूप में स्थापित करने की कोशिश में हैं. वे सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय हैं और कहते हैं, “मैं न लालू से टूटा हूं, न जनता से. मैं सिर्फ सच्चाई की राह पर निकला हूं.”
तेज प्रताप: बिहार की राजनीति का रंगीन किरदार
तेज प्रताप यादव सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि बिहार की सियासत का सबसे दिलचस्प किरदार हैं. वे कभी ‘स्वास्थ्य मंत्री’ बनकर जिम्मेदारी निभाते हैं, कभी ‘कृष्ण’ बनकर धर्म की बात करते हैं, और कभी सोशल मीडिया पर अपने दिल की बात खुलकर रखते हैं. उनकी जिंदगी में धर्म है, राजनीति है, और ड्रामा भी. यही तीनों मिलकर तेज प्रताप यादव को बनाते हैं बिहार की राजनीति का सबसे अनोखा चेहरा.