नीतीश कुमार का खेल बिगाड़ सकते हैं किसान? मजदूरों पर टिका है बिहार के विजेता का भविष्य

बिहार चुनावों की तारीखों का ऐलान होते ही किसानों और मजदूरों की भूमिका पर चर्चा शुरू हो गई है. इस बार के चुनाव में राज्य के 80 लाख से अधिक किसान और कई करोड़ मजदूर बिहार का विजेता तय करेंगे.

नोएडा | Updated On: 6 Oct, 2025 | 06:07 PM

Farmers Impact on Bihar Election 2025:  बिहार चुनावों का बिगुल फूंक दिया गया है और चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है. नीतीश कुमार दो बार से लगातार मुख्यमंत्री के पद पर हैं. हालांकि, बीच में वह आरजेडी के साथ गठबंधन करके सीएम रहे और बाद में नाता तोड़कर भी सीएम बने हुए हैं. इस बार के चुनाव में राज्य के 80 लाख से अधिक किसान और कई करोड़ मजदूरों की भूमिका काफी अहम होने वाली है. किसान और मजदूर इस बार तय करेंगे कि उन्हें किसे सत्ता पर रखना है और किसे नहीं.

74 लाख किसानों तय करेंगे नीतीश ‘सरकार’

बिहार में किसानों की संख्या 85 लाख के करीब (Farmers Number in Bihar) है. पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ पाने वाले किसानों की मौजूदा संख्या 74 लाख के करीब है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि बिहार के कुल किसानों में से करीब 90 फीसदी सीमांत किसान हैं यानी उनके पास 2.5 एकड़ से कम कृषि योग्य जमीन है. जबकि, 5 फीसदी किसान 1-2 हेक्टेयर की जमीन वाले और उसके बाद कम जोत वाले या बटाईदार हैं.

धान किसान बन सकते हैं मुसीबत

बिहार में मंडी व्यवस्था नहीं होने से किसानों को अपनी उपज के लिए सही भाव नहीं मिलता है. धान की उपज का ज्यादा दाम मिलने के लालच में बिहार के किसान नियमों को ताक पर रखकर हर साल हरियाणा और पंजाब के किसानों को उपज बेचते हैं. वजह है न्यूनतम समर्थन मूल्य का मिल जाना है. बिहार में व्यवस्थित मंडी या बिक्री केंद्रों की कमी के चलते किसानों को औने पौने दामों पर अपनी उपज बेचनी पड़ती है.

मखाना किसानों का सपना अभी भी अधूरा

राज्य के मखाना किसान लंबे समय से (Makhana Farmers) फसल के लिए सही कीमत दिलाने की मांग राज्य सरकार से लंबे समय से करते आ रहे हैं. हालांकि, केंद्र सरकार ने मखाना बोर्ड के गठन की मंजूरी जरूर दी है, लेकिन अभी यह प्रक्रिया का हिस्सा ही बना हुआ है. मखाना किसानों को स्थानीय स्तर पर अच्छी कीमत दिलाने वाले बाजार का सपना अभी अधूरा है.
इसी तरह लीची, आम, मछली पालक किसान भी इस बार के चुनाव में बाजी इधर से उधर पलटा सकते हैं.

कई करोड़ मजदूर तय करेंगे किस्मत

आंकड़ों के अनुसार बिहार की कुल आबादी लगभग 13 करोड़ है. इसमें बड़ी संख्या में मजदूर हैं, जिनमें खेतिहर और निर्माणाधीन कार्यों करने वाले मजदूर भी शामिल हैं. मनरेगा के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार करीब 1 करोड़ लोग मजदूरी कर रहे हैं और एक्टिव हैं. जबकि, कुल मनरेगा से जुड़े मजदूरों की संख्या 2 करोड़ से भी अधिक है. हालांकि, बिहार में मजदूरों की संख्या का आधिकारिक आंकड़ा नहीं जारी किया गया है. यह स्थिति राज्य में बेरोजगारी की स्थिति को भी उजागर करता है. जबकि, बिहार से रोजगार के लिए बड़े पैमाने पर लोग पलायन करते हैं. दशकों की यह समस्या नीतीशकाल में दूर नहीं हो सकी है. ऐसे में मजदूरों की रोजगार और मजदूरी बढ़ाने की मांग मौजूदा नीतीश सरकार के लिए चुनावों में मुसीबत का कारण बन सकती है.

हालांकि, पीएम मोदी की कल्याणकारी योजनाओं से किसानों और मजदूरों की नाराजगी को दूर करना सत्ता पक्ष के लोगों के लिए आसान भी है.

बिहार विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम

प्रथम चरण में 121 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा और दूसरे चरण में 122 विधानसभा क्षेत्रों में वोटिंग होगी. राजपत्र अधिसूचना जारी होने की तिथि 10.10.2025 (शुक्रवार) है.

Published: 6 Oct, 2025 | 05:53 PM

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