आंध्र प्रदेश में लाल मिर्ची की खेती करने वाले किसान इन दिनों परेशान हैं. किसानों की समस्याओं को सुनने के लिए मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती में राज्य सचिवालय में मिर्च किसानों, व्यापारियों, अधिकारियों और निर्यातकों के साथ एक मीटिंग की. इस मीटिंग में किसानों ने मुख्यमंत्री को बताया कि काली फफूंदी रोग के कारण मिर्च की फसल की गुणवत्ता और उपज प्रभावित हो रही है, जिससे उत्पादकता कम हो रही है. जानें आखिर क्या है काली फफूंदी रोग या Black Mould Disease जिसकी वजह से आंध्र प्रदेश के किसानों पर आफत आई है.
क्या है यह बीमारी
काली फफूंदी, मिर्ची के पौधे पर अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट बीमारी की वजह से फैलती है. यह मिर्च की एक आम बीमारी है जो पौधे के बढ़ने के किसी भी चरण में पत्तियों पर होती है. यह फफूंद पत्तियों पर हमला करता है जिससे पत्तियों पर धब्बे और झुलसा रोग होता है. शुरुआती झुलसा रोग सबसे पहले पौधों पर छोटे, काले घावों के रूप में देखा जाता है जो ज्यादातर पुरानी पत्तियों पर होते हैं. धब्बे बड़े हो जाते हैं और जब वे एक-चौथाई इंच व्यास या उससे बड़े हो जाते हैं तो रोगग्रस्त क्षेत्र के केंद्र में बैल की आंख के आकार के छल्ले देखे जा सकते हैं.
फल हो जाते हैं चौपट
धब्बों के आस-पास के टिश्यूज पीले पड़ जाते हैं. अगर इस समय तापमान ज्यादा होता है और आर्द्रता होती है तो अधिकांश पत्ते मर जाते हैं. तने पर घाव पत्तियों पर होने वाले घावों के समान होते हैं, कभी-कभी मिट्टी की रेखा के पास होने पर पौधे को घेर लेते हैं. संक्रमित पौधे अक्सर खेत में लगने पर मर जाते हैं. यह फंगस फलों को भी इनफेक्टेड कर देती है. घाव काफी बड़े हो जाते हैं, आमतौर पर यह फंगस पूरे फल को बर्बाद कर देती है.
कैसे करें कंट्रोल
बढ़ते मौसम की शुरुआत में निवारक कवकनाशी स्प्रे का प्रयोग करें, खासकर तब जब परिस्थितियां रोग के विकास के लिए अनुकूल हों जैसे अगर तापमान ज्यादा है, उसमें आर्द्रता है या फिर बहुत ज्यादा गर्मी है तो. अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जो कवकनाशी में शामिल हैं उनमें क्लोरोथालोनिल, मैनकोजेब, एजोक्सीस्ट्रोबिन, पाइराक्लोस्ट्रोबिन और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड प्रमुख हैं.
इसके अलावा पत्तियों की नमी को सीमित करने के लिए ऊपर से पानी देने से बचें, और रोपण के समय हवा के अच्छे वैंटीलेशन और धूप के लिए पर्याप्त जगह छोड़ें. अपने बगीचे को पूरे मौसम में गिरे हुए पत्तों से मुक्त रखें और विशेष तौर पर पतझड़ के समय सफाई का पूरा ध्यान रखें.