बुंदेलखंड के इस गेहूं पर क्यों मेहरबान हुए सीएम योगी, ब्रांडिंग में लगे 3 विभाग.. 250 एकड़ में कराई बुवाई
कठिया गेहूं को अब नया ब्रांड बनाने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं. इसके लिए 3 विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. बुंदेलखंड में झांसी के अलावा अन्य जिलों में भी किसानों के समूह बनाकर इस गेहूं की बुवाई की गई है. इस बार कठिया गेहूं का उत्पादन बढ़ने के साथ ही सबसे ज्यादा भाव पर बिक्री की जाएगी.
बुंदेलखंड के मशहूर कठिया गेहूं को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने मोटी रकम खर्च की है ताकि इसे ब्रांड बनाकर देश और दुनियाभर में भेजा जा सके. राज्य सरकार ने तीन विभागों को कठिया गेहूं की मार्केटिंग की जिम्मेदारी दी गई है. जबकि, खास जैविक तरीके से इस गेहूं की बुवाई 250 एकड़ में 800 किसानों से कराई गई है. इसके साथ ही इस गेहूं को बाजार और अधिक दाम दिलाने के लिए एफपीओ को भी जोड़ा गया है. सीएम योगी के निर्देश पर और बेहतरीन स्वास्थ्यवर्धक खूबियां होने के चलते कठिया गेहूं को जीआई टैग भी दिया गया है.
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड का प्रमुख हिस्सा झांसी में होने वाले कठिया गेहूं को अब नया ब्रांड बनाने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं. इसके लिए 3 विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, नाबार्ड और कृषि विभाग ने एफपीओ कठिया व्हीट फॉर्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन के साथ करार किया है. इस एफपीओ में पंजीकृत 800 किसानों ने लगभग 250 एकड़ में कठिया गेहूं की खेती शुरू कर दी है. यह विभाग वैज्ञानिक तकनीक से खेती कराने के साथ किसान को उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए मार्केटिंग भी करेंगे.
800 किसानों ने 250 एकड़ में कठिया गेहूं की खेती शुरू की
बुंदेलखंड का कठिया गेहूं अपनी क्वालिटी और स्वाद के लिए जाना जाता है. यही कारण है कि सरकार बुंदेलखंड में उत्पादन बढ़ाने में जोर दे रही है. कठिया गेहूं का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है, लेकिन मार्केट न होने के कारण किसान इस गेहूं की पैदावार में रुचि नहीं दिखाते.
कठिया गेहूं के उत्पादन के लिए कृषि विभाग ने कठिया व्हीट फॉर्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन बंगरा का गठन कराया है, जिसमें 800 किसान जोड़े गए. इन किसानों ने झांसी जिले के बंगरा, मऊरानीपुर और सकरार के आसपास लगभग 250 एकड़ में कटिया गेहूं की पैदावार शुरू कर दी है. गुणवत्ता के चलते शासन ने कठिया गेहूं को जीआई टैग दिया है, ताकि इसे प्रतिष्ठित ब्रांड बनाया जा सके. इसके बाद भी इस गेहूं की बिक्री में समस्या आई.
नाबार्ड, कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विभाग बिक्री कराएंगे गेहूं
कठिया गेहूं की बिक्री के लिए बाजार न मिलने के चलते किसान कठिया गेहूं की खेती करने से बचते आए हैं. इसको ठीक करने के लिए कृषि विभाग किसानों की मदद के लिए आगे आया है. उसने नाबार्ड राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के साथ मिलकर एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं. यह तीनों विभाग मिलकर यहां पैदा होने वाले कठिया गेहूं को बाजार में बिकवाने में मदद करेंगे.
यूपी के अन्य जिलों में भी होगी पैदावार
कठिया गेहूं का उत्पादन क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए गए हैं कठिया व्हीट फॉर्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन के जरिए कठिया गेहूं की बुवाई बांदा, हमीरपुर और महोबा में भी की जा रही है. इसके लिए 20-20 किसानों के समूह बनाए गए हैं. इन किसानों ने इस बार रबी सीजन में कठिया गेहूं की बुआई की है.
कठिया गेहूं स्वास्थ्य के लिए बेहतर
कठिया गेहूं में कार्बोहाइड्रेट और विटामिन-ए जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, जो ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार माने जाते हैं. इसकी पाचन क्षमता भी अच्छी होती है. इसे गैस, ऑर्थराइटिस जैसी बीमारियों के खिलाफ असरदार माना गया है. कठिया गेहूं का इस्तेमाल दलिया, सूजी, स्पैगेटि सहित अन्य व्यंजन बनाने में किया जा सकता है.