हरियाणा धान घोटाले में शामिल मिल मालिकों की बढ़ी मुश्किलें, पैसा न लौटाने पर मिलें होंगी सील

राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि धान खरीद में हुई अनियमितताओं को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हरियाणा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने जांच के बाद उन मिल मालिकों को रिकवरी नोटिस जारी किए हैं, जिन पर धान की कमी और फर्जीवाड़े के आरोप सिद्ध हुए हैं.

नई दिल्ली | Published: 29 Dec, 2025 | 11:04 AM

Haryana paddy scam: हरियाणा में धान खरीद से जुड़े एक बड़े घोटाले ने एक बार फिर सरकारी खरीद व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. किसानों की मेहनत से उपजे धान की खरीद और भंडारण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बनी व्यवस्था में जब गड़बड़ी सामने आती है, तो इसका सीधा असर किसान और सरकारी खजाने दोनों पर पड़ता है. इसी कड़ी में राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने कड़ा रुख अपनाते हुए गड़बड़ी करने वाले चावल मिल मालिकों के खिलाफ वसूली की कार्रवाई शुरू कर दी है.

धान खरीद घोटाले पर सरकार की सख्ती

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि धान खरीद में हुई अनियमितताओं को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हरियाणा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने जांच के बाद उन मिल मालिकों को रिकवरी नोटिस जारी किए हैं, जिन पर धान की कमी और फर्जीवाड़े के आरोप सिद्ध हुए हैं. विभाग का कहना है कि यदि तय समय में राशि वापस नहीं की गई, तो संबंधित मिलों को सील कर दिया जाएगा.

जांच में क्या सामने आया

विभागीय जांच में यह बात उजागर हुई कि प्रदेश की 11 चावल मिलों में सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक धान की मात्रा पूरी नहीं पाई गई. कुल मिलाकर करीब 25 हजार मीट्रिक टन से अधिक धान की कमी दर्ज की गई है. करनाल, यमुनानगर और अंबाला जैसे जिलों की मिलों में सबसे ज्यादा गड़बड़ी सामने आई है. इन मामलों में पुलिस भी समानांतर जांच कर रही है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि अनियमितता प्रशासनिक लापरवाही थी या सुनियोजित घोटाला.

किसानों और सरकारी खजाने को हुआ नुकसान

धान खरीद में इस तरह की गड़बड़ियों का सबसे बड़ा नुकसान किसानों को होता है. किसान समय पर फसल बेचकर भुगतान की उम्मीद करता है, जबकि ऐसी अनियमितताओं से पूरी व्यवस्था पर अविश्वास पैदा होता है. साथ ही, सरकारी खजाने को भी करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचता है. विभागीय आकलन के अनुसार, इस घोटाले में करीब 45 से 50 करोड़ रुपये की अनियमितता हुई है, जिसकी वसूली अब प्राथमिकता पर की जा रही है.

मंत्री का सख्त संदेश

खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राजेश नागर ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने भरोसा दिलाया कि जिन मिल मालिकों ने नियमों की अनदेखी की है, उनसे पूरी रकम वसूल की जाएगी. मंत्री ने यह भी बताया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए नई और सख्त व्यवस्था तैयार की जा रही है, जिसे आगामी खरीद सीजन से लागू करने की योजना है.

अधिकारियों पर भी कार्रवाई

इस घोटाले में सिर्फ मिल मालिक ही नहीं, बल्कि मंडियों से जुड़े कुछ अधिकारी और कर्मचारी भी जांच के घेरे में आए हैं. सरकार ने बताया कि कई मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और जहां जरूरत है, वहां विभागीय व कानूनी कार्रवाई जारी है. यह कदम इसलिए भी अहम है, ताकि यह संदेश जाए कि जवाबदेही केवल निजी पक्षों तक सीमित नहीं रहेगी.

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