किसान दिसंबर के अंत में जरूर करें शिमला मिर्च की बुवाई, कम समय में होगा जबरदस्त मुनाफा

अगर किसान दिसंबर के अंत में शिमला मिर्च की खेती सही तरीके से करते हैं, तो 60 से 80 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन आसानी से मिल सकता है. बाजार में शिमला मिर्च का भाव मौसम और मांग के अनुसार 25 से 70 रुपये प्रति किलो तक रहता है.

नई दिल्ली | Published: 30 Dec, 2025 | 04:02 PM

Capsicum farming: दिसंबर का महीना किसानों के लिए सिर्फ ठंड का मौसम नहीं लाता, बल्कि नई संभावनाओं के दरवाजे भी खोलता है. रबी फसलों की बुवाई के साथ-साथ अगर किसान सब्जी उत्पादन की सही योजना बना लें, तो उनकी आमदनी में बड़ा इजाफा हो सकता है. ऐसी ही एक फसल है शिमला मिर्च, जो आज सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि गांवों के खेतों से निकलकर सीधा बाजार और होटल-रेस्टोरेंट तक पहुंच रही है. बदलती खानपान की आदतों और फास्ट फूड की बढ़ती मांग ने शिमला मिर्च को सालभर बिकने वाली सब्जी बना दिया है. यही कारण है कि दिसंबर के अंत में इसकी खेती किसानों के लिए तगड़ा मुनाफा देने वाला सौदा साबित हो सकती है.

क्यों दिसंबर में शिमला मिर्च लगाना फायदेमंद है

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शिमला मिर्च ठंडे और हल्के ठंडे मौसम में सबसे अच्छा उत्पादन देती है. दिसंबर के अंत में तापमान न ज्यादा गर्म होता है और न ही बहुत ज्यादा ठंडा, जिससे पौधों की बढ़वार संतुलित रहती है. इस समय लगाई गई फसल में फूल और फल दोनों अच्छी संख्या में आते हैं. साथ ही रोग और कीटों का प्रकोप भी तुलनात्मक रूप से कम रहता है, जिससे खेती की लागत घट जाती है और मुनाफा बढ़ जाता है.

खेत और मिट्टी की सही तैयारी

शिमला मिर्च की अच्छी पैदावार के लिए खेत की तैयारी बहुत जरूरी है. इसके लिए हल्की दोमट से लेकर मध्यम चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें जल निकासी की व्यवस्था अच्छी हो. खेत में पानी भरने की समस्या होने पर जड़ सड़न और फंगल रोग लग सकते हैं. इसलिए पहली जुताई गहरी करनी चाहिए, ताकि पुरानी फसल के अवशेष नष्ट हो जाएं. इसके बाद दो से तीन बार हल्की जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें. खेत में 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पौधों को शुरुआती पोषण मिलता है.

नर्सरी से रोपाई तक का सही तरीका

दिसंबर के अंत में शिमला मिर्च की खेती आमतौर पर नर्सरी से पौधे तैयार करके की जाती है. बीज बोने के करीब 30 से 35 दिन बाद पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं. स्वस्थ पौधों की पहचान यह है कि उनकी ऊंचाई लगभग 12 से 15 सेंटीमीटर हो और पत्तियां गहरी हरी हों. रोपाई के समय कतार से कतार की दूरी लगभग 2 से 2.5 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 1 से 1.25 फीट रखना बेहतर रहता है. इससे पौधों को पर्याप्त जगह मिलती है और फल अच्छे आकार के बनते हैं.

सिंचाई और पोषण प्रबंधन

शिमला मिर्च की खेती में पानी का संतुलन बहुत अहम होता है. रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई जरूरी होती है, ताकि पौधे अच्छी तरह जम जाएं. इसके बाद 5 से 6 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना पर्याप्त रहता है. ठंड के मौसम में अधिक पानी देने से बचना चाहिए. पोषण की बात करें तो गोबर की खाद के साथ वर्मी कंपोस्ट और समय-समय पर जैविक घोल देने से पौधों की बढ़वार बेहतर होती है. इससे फल चमकदार और वजन में भारी होते हैं, जो बाजार में अच्छे दाम दिलाते हैं.

रोग और कीट नियंत्रण में सावधानी

दिसंबर में लगाई गई शिमला मिर्च में रोग अपेक्षाकृत कम लगते हैं, फिर भी सतर्कता जरूरी है. पत्तियों पर सफेद मक्खी, थ्रिप्स और एफिड जैसे कीट कभी-कभी नुकसान पहुंचा सकते हैं. इनके नियंत्रण के लिए नीम तेल का छिड़काव काफी प्रभावी माना जाता है. मिट्टी जनित रोगों से बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा का प्रयोग लाभकारी रहता है. खेत में पीले स्टिकी ट्रैप लगाने से कीटों की संख्या पर नियंत्रण रहता है और रासायनिक दवाओं की जरूरत कम पड़ती है.

उत्पादन और मुनाफे का गणित

अगर किसान दिसंबर के अंत में शिमला मिर्च की खेती सही तरीके से करते हैं, तो 60 से 80 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन आसानी से मिल सकता है. बाजार में शिमला मिर्च का भाव मौसम और मांग के अनुसार 25 से 70 रुपये प्रति किलो तक रहता है. ऐसे में एक एकड़ से किसानों को अच्छी-खासी आमदनी हो सकती है. लागत निकालने के बाद भी मुनाफा आकर्षक रहता है, यही वजह है कि इसे कम समय में ज्यादा कमाई देने वाली सब्जी फसल माना जाता है.

Topics: