सरकारी खरीद से पहले सोयाबीन की कीमतों में उबाल, मंडियों में लौटी रौनक

केंद्र सरकार ने इस खरीफ सीजन में 18.50 लाख टन सोयाबीन खरीदने की मंजूरी दी है. सरकारी खरीद का मतलब है कि किसानों को कम से कम एमएसपी का भरोसा रहेगा. किसानों का कहना है कि जैसे ही खरीद की शुरुआत होगी, बाजार में और मजबूती आ सकती है.

नई दिल्ली | Published: 15 Nov, 2025 | 10:08 AM

 Maharashtra  News: महाराष्ट्र के किसानों के लिए पिछले कुछ हफ्ते तनावभरे थे. लगातार बारिश, बाजार में गिरावट और फसल खराब होने की खबरों ने खेती का मिजाज बिगाड़ दिया था. लेकिन अब हालात बदलते नजर आ रहे हैं. जैसे ही राज्य में सरकारी खरीद शुरू होने की तारीख नजदीक आई, सोयाबीन के दाम में मजबूत उछाल देखने को मिला है. इस बढ़त ने किसानों में नई उम्मीद जगा दी है और मंडियों में फिर से रौनक लौट आई है.

तेजी से बढ़ रहा है बाजार भाव

कुछ दिन पहले तक सोयाबीन की कीमतें बेहद कमजोर थीं. भारी बारिश और अस्थिर बाजार के कारण हिंगणघाट जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सोयाबीन 500–600 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर चुका था. किसान अपनी उपज को देखकर परेशान थे कि इस बार कमाई होगी भी या नहीं.

लेकिन जैसे ही सरकार की ओर से मूल्य समर्थन योजना (MSP) पर खरीद शुरू होने की घोषणा सामने आई, बाजार ने करवट ले ली. कई मंडियों में दाम तेजी से बढ़ते हुए MSP पार कर गए. जालना में सोयाबीन का भाव 6,200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया. मालकापुर, जिंतूर, यवतमाल, अकोला और अमरावती जैसे जिलों में भी दाम एमएसपी 5,328 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर चल रहे हैं.

मंडियों में इस तेजी की दो मुख्य वजहें बताई जा रही हैं पहली, सरकारी खरीद की उम्मीद और दूसरी, खेतों में खराब फसल और कटाई के बाद कम आवक.

सरकारी खरीद से बढ़ी उम्मीदें

केंद्र सरकार ने इस खरीफ सीजन में 18.50 लाख टन सोयाबीन खरीदने की मंजूरी दी है. सरकारी खरीद का मतलब है कि किसानों को कम से कम एमएसपी का भरोसा रहेगा. किसानों का कहना है कि जैसे ही खरीद की शुरुआत होगी, बाजार में और मजबूती आ सकती है. बहुत से किसान अब अपनी पूरी उपज एक साथ बेचने के बजाय धीरे-धीरे लाने की रणनीति अपना रहे हैं, ताकि बेहतर भाव मिल सके.

बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें

इस साल महाराष्ट्र में लगभग 50 लाख एकड़ में सोयाबीन की बुवाई हुई थी. लेकिन सितंबर-अक्टूबर में लगातार बारिश ने खेती को बुरी तरह प्रभावित कर दिया. कई जिलों में खेत डूब गए, पौधे झड़ गए, कटाई के बाद खेत में पड़ी फसल सड़ने लगी. सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अनुमान के मुताबिक, लगभग 8 फीसदी फसल पूरी तरह नष्ट हो गई.

विदर्भ की किसान बताते हैंबारिश की वजह से खेत में पड़ी फसल खराब हो गई. कई किसानों का आधा उत्पादन खराब हो गया. ऐसे में दाम बढ़ना हमारे लिए राहत है.”

कम आवक से बाजार में मजबूती

बारिश और नुकसान की वजह से इस बार मंडियों में सोयाबीन की आवक सामान्य से कम है. कम सप्लाई और सरकारी खरीद की उम्मीद ने दाम को ऊपर बनाए रखा है. व्यापारियों का कहना है कि आने वाले हफ्तों में कीमतें स्थिर रह सकती हैं, लेकिन यदि आवक और कम हुई तो दाम और बढ़ भी सकते हैं.

किसानों के लिए राहत भरा समय

किसानों की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं, लेकिन सोयाबीन के बाजार में आई तेजी ने उन्हें बड़ी राहत दी है. सरकारी खरीद शुरू होने से दाम स्थिर रहेंगे और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का भरोसा मिलेगा. कुल मिलाकर, मौसम की मार से जूझ रहे किसानों के लिए यह बढ़ती कीमतें उम्मीद की नई किरण साबित हो रही हैं.

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