सरकारी रिपोर्ट: शहरी और ग्रामीण भारत में दूध-मीट की खपत बढ़ी, अनाज-दाल घटे
बेहतर जीवन स्तर वाले लोग ज्यादा पौष्टिक या कैलोरी युक्त भोजन कर रहे हैं. साथ ही भारत की थाली अब पहले जैसी नहीं रही. लोगों की पसंद बदल रही है, अब वे दूध, अंडा, मांस और प्रोसेस्ड फूड की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं.
क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे खाने की थाली में बदलाव आ रहा है? अब हम वो नहीं खा रहे जो कभी रोज का हिस्सा था. सरकार की हालिया रिपोर्ट बताती है कि देश में अब लोग दूध और उससे बने उत्पादों की ओर ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं, जबकि दाल और अनाज जैसे परंपरागत खाद्य पदार्थों की खपत कम हो रही है. यह बदलाव सिर्फ शहरों में नहीं, बल्कि गांवों में भी देखने को मिल रहा है.
शहरों और गांवों में अनाज की खपत में गिरावट
सरकार द्वारा जारी “हाउसहोल्ड कंजम्प्शन एक्सपेंडिचर सर्वे” (HCES) के आंकड़े बताते हैं कि 2022-23 की तुलना में 2023-24 में शहरी भारत में अनाज की खपत का हिस्सा 38.8 फीसदी से घटकर 38.7 फीसदी हो गया है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह गिरावट और भी ज्यादा है, यानी 46.9 फीसदी से घटकर 45.9 फीसदी.
दालों की थाली भी हो रही है हल्की
शहरी क्षेत्रों में दालों की खपत में भी फर्क देखने को मिला है, यह 9.6 फीसदी से घटकर 9.1 फीसदी रह गई है, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 8.8 फीसदी से घटकर 8.7 फीसदी हो गई है. यानी अब हमारी थाली में दाल की मात्रा भी पहले से कम हो रही है.
दूध और दूध उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार, एक ओर जहां अनाज और दालें पीछे हट रही हैं, वहीं दूध और उससे बने उत्पादों ने हमारे भोजन में ज्यादा जगह बना ली है. शहरी क्षेत्रों में दूध की खपत 12.8 फीसदी से बढ़कर 12.9 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में 10.6 फीसदी से बढ़कर 11 फीसदी हो गई है. यह इशारा करता है कि लोग अब प्रोटीन और कैल्शियम के लिए दूध को प्राथमिकता दे रहे हैं.
मांस, मछली और अंडे में भी रुचि बढ़ी
ग्रामीण क्षेत्रों में मांस, मछली और अंडों की खपत 12.3 फीसदी से बढ़कर 12.4 फीसदी हो गई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 14.1 फीसदी पर स्थिर रही. यानी खाने की थाली में अब नॉन-वेज भी अपनी जगह बना रहा है.
‘अन्य खाद्य पदार्थों’ का हिस्सा भी बढ़ा
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि अन्य खाद्य पदार्थों जैसे स्नैक्स, मिठाई, पैकेज्ड फूड की खपत ग्रामीण क्षेत्रों में 21.4 फीसदी से बढ़कर 22 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 24.8 फीसदी से बढ़कर 25.3 फीसदी हो गई है. यह दिखाता है कि लोग पारंपरिक खाने से हटकर आधुनिक और प्रोसेस्ड फूड की ओर बढ़ रहे हैं.
कैलोरी इनटेक में मामूली गिरावट
2022-23 में ग्रामीण भारत में औसतन प्रति व्यक्ति प्रति दिन कैलोरी इनटेक 2233 किलो कैलोरी था, जो 2023-24 में घटकर 2212 किलो कैलोरी हो गया. शहरी भारत में यह 2250 से घटकर 2240 Kcal रहा. हालांकि निचले आर्थिक वर्गों में हल्का सुधार देखा गया है.
आर्थिक स्थिति से भी जुड़ा है फूड पैटर्न
रिपोर्ट कहती है कि जैसे-जैसे मासिक खर्च बढ़ता है, वैसे-वैसे कैलोरी की मात्रा भी बढ़ती है. यानी बेहतर जीवन स्तर वाले लोग ज्यादा पौष्टिक या कैलोरी युक्त भोजन कर रहे हैं. साथ ही भारत की थाली अब पहले जैसी नहीं रही. लोगों की पसंद बदल रही है, अब वे दूध, अंडा, मांस और प्रोसेस्ड फूड की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं. यह न केवल हमारे स्वास्थ्य बल्कि देश की खाद्य नीति के लिए भी एक जरूरी संकेत है.