अंतरराष्ट्रीय कृषि विज्ञान सम्मेलन: खेती में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर, उपज अंतर पाटने पर उपाय जारी होंगे

International Agricultural Science Conference: आज से दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय कृषि विज्ञान सम्मेलन हो रहा है. खेती में तकनीक, उपकरण को बढ़ावा देकर लागत घटाने और उपज बढ़ाने पर विचार और उपाय पेश किए जा रहे हैं. आईसीएआर निदेशक एमएल जाट ने कहा कि कृषि आयात घटाकर स्वदेशी संसाधनों को बढ़ावा देकर कृषि उत्पादन में हमें आत्मनिर्भर बनना है.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 24 Nov, 2025 | 12:07 PM

केंद्र सरकार खेती को आधुनिक बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है. इसी दिशा में किसानों को उपकरणों से मित्रता बनाने और खेती में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल, फायदे और नुकसान पर नए समाधान पेश करने के लिए आज दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय कृषि विज्ञान सम्मेलन हो रहा है. इसकी शुरुआत केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह कर रहे हैं. वह पहले ही खेती को आधुनिक बनाने की पक्षधर रहे हैं, ताकि किसानों की कमाई के साथ ज्यादा उपज बेहतर क्वालिटी की हासिल हो सके.

आज से तीन दिवसीय छठा अंतरराष्ट्रीय कृषि विज्ञान सम्मेलन

नई दिल्ली में आज से छठा अंतरराष्ट्रीय कृषि विज्ञान सम्मेलन का शुभारंभ होने जा रहा है. कार्यक्रम की शुरुआत कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे. तीन दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन में पूर्ण सत्र, विषयगत संगोष्ठी, मुख्य व्याख्यान, पोस्टर प्रस्तुति, प्रदर्शनी और युवा वैज्ञानिकों एवं विद्यार्थियों की बैठक होगी. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार सम्मेलन में एक हजार से अधिक वैश्विक प्रतिनिधि भाग लेंगे और यह विश्व स्तरीय वैज्ञानिक विचार-विमर्श का प्रभावी मंच बनेगा.

सम्मेलन में कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप-महानिदेशक, उद्योग जगत के प्रतिनिधि और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल होंगे. इस वर्ष की थीम है “स्मार्ट कृषि खाद्य प्रणालियों के लिए नई कृषि विज्ञान परिकल्पना,” जिसमें अधिक उत्पादक, जलवायु अनुकूल और पोषण संवर्धक कृषि प्रणालियों पर जोर दिया जाएगा.

आईसीएआर महानिदेशक ने बताया खाद्यान उत्पादन रिकॉर्ड

आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एमएल जाट ने सम्मेलन की समीक्षा बैठक में कहा कि भारत के रिकॉर्ड 3,577.3 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन और 2020 की तुलना में फसल अवशेष जलाने में 95 फीसदी की कमी को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि कृषि के भीतर लचीलापन, दक्षता और पर्यावरण संतुलन को बढ़ावा देना है.

फसल उत्पादन अंतर पाटने के उपाय बताएंगे कृषि वैज्ञानिक

उन्होंने उपज के अंतर को पाटने और स्थायित्व बढ़ाने के लिए प्रणालीगत कृषि विज्ञान, प्राकृतिक और पुनर्योजी खेती, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा आईओटी जैसी डेटा संचालित तकनीकों के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने आयात पर निर्भरता कम करके, स्वदेशी संसाधनों को बढ़ावा देकर और पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता में सुधार करके कृषि आदानों में आत्मनिर्भरता का भी आह्वान किया.

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Published: 24 Nov, 2025 | 12:06 PM

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