हर साल ठंड के आते ही दिल्ली-एनसीआर की हवा दमघोंटू हो जाती है. आसमान धुंध से भर जाता है और सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. इसका सबसे बड़ा कारण है हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतों में जलाई जाने वाली पराली. लेकिन अब सरकार ने तय कर लिया है कि इस बार हालात को पहले जैसा नहीं होने दिया जाएगा.
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने राज्यों में “पराली प्रोटेक्शन फोर्स” का गठन करें. यह फोर्स जिला और ब्लॉक स्तर पर बनाई जाएगी और इसका काम पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाना होगा.
कौन होंगे इस फोर्स में
इस विशेष फोर्स में पुलिस और कृषि विभाग के अधिकारी शामिल होंगे. इनका काम खेतों की निगरानी करना, किसानों को समझाना और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई करना होगा. खासतौर पर रात के समय गश्त बढ़ाई जाएगी, जब किसान छिपकर पराली जलाने की कोशिश करते हैं ताकि वे सैटेलाइट की निगरानी से बच सकें.
फोर्स का मकसद सिर्फ सजा देना नहीं है, बल्कि किसानों को विकल्प और सहयोग देना भी है, ताकि वे मजबूरी में पराली न जलाएं.
पराली जलाने पर अब होगी सख्ती
आयोग ने यह साफ कर दिया है कि जो किसान पराली जलाते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उनके जमीन के रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ कर दी जाएगी, जिससे उन्हें भविष्य में सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने में परेशानी हो सकती है. इसके साथ ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए उन पर जुर्माना भी लगाया जाएगा.
किसानों को मिलेगा सीधा सहयोग
हर 50 किसानों के समूह पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा. यह अधिकारी किसानों को पराली के प्रबंधन के तरीके बताएगा, जरूरी संसाधन दिलवाएगा और अगर किसी किसान को मदद चाहिए तो तुरंत उसे उपलब्ध कराएगा. इससे प्रशासन और किसानों के बीच सीधा संवाद बनेगा और हालात बेहतर तरीके से संभाले जा सकेंगे.
नई मशीनें आएंगी, पुरानी हटेंगी
पराली के सही निपटारे के लिए किसानों को मशीनें दी जाएंगी. आयोग ने राज्यों से कहा है कि वे यह जांच करें कि उनके पास कितनी पराली प्रबंधन मशीनें हैं, और कौन-सी मशीनें अब काम की नहीं रहीं. अगस्त 2025 तक नई मशीनों की खरीद की योजना भी बनाई जाएगी. खास बात यह है कि छोटे और सीमांत किसानों को ये मशीनें मुफ्त किराए पर उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि उनके लिए पराली को जलाए बिना निपटाना आसान हो सके.
पराली होगा इस्तेमाल
अब सरकार का ध्यान पराली को नष्ट करने के बजाय, उसे उपयोग में लाने पर है. इसके लिए पराली की गांठों को रखने के लिए भंडारण केंद्र बनाए जाएंगे. इन केंद्रों के लिए सरकारी या पंचायत की जमीन चिन्हित की जाएगी. साथ ही जिला स्तर पर एक सप्लाई चेन बनाई जाएगी, जिससे पराली को इकट्ठा किया जाए, स्टोर किया जाए और फिर उसका इस्तेमाल जैविक खाद बनाने, बायोएनर्जी उत्पादन जैसे कामों में किया जा सके.
अब सारा सिस्टम होगा ऑनलाइन
सरकार एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाने जा रही है, जिससे पराली के उत्पादन, संग्रह और उपयोग पर रीयल टाइम में नजर रखी जा सकेगी. इससे पूरा सिस्टम पारदर्शी होगा और अलग-अलग विभागों के बीच बेहतर तालमेल बन सकेगा.