बंपर उपज दे रही मक्का की नई किस्म, कम लागत में ज्यादा मुनाफा बना रहे किसान

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने मक्के की नई किस्म पूसा कंपोजिट 701 विकसित की है, जो कम समय में अधिक मुनाफे के साथ बहुमुखी तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 21 Apr, 2025 | 07:31 PM

आज के समय में जब खेती पर मौसम और जलवायु बदलाव के कारण फसलों में कई तरह की बीमारियों खतरा बना रहता है. जिसे फसलों की पैदावार और गुणवत्ता पर काफी असर पड़ता हैं. ऐसे में किसानों को ऐसी फसलों की जरूरत होती हैं जो कम समय में अधिक मुनाफे के साथ बहुमुखी तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकें. इसी कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के माध्यम से मक्के की नई किस्म पूसा कंपोजिट 701 को विकसित की गई है. यह किस्म विशेष रूप से राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों के लिए सिफारिश की गई है, जहां मक्का की खेती बड़े पैमाने पर होती है.

दोहरी उपयोग के बेस्ट है ये किस्म

पूसा कंपोजिट 701 मक्का की एक दोहरी उपयोग वाली (dual purpose) किस्म है, यानी इसे अनाज और चारे दोनों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे किस्म को 1994 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय कृषि अनुसंधान नई दिल्ली में विकसित किया गया है. इस किस्म की खेती राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त माना गया है.

बीमारियों के लिए प्रतिरोधक होती है

इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत है कि यह सिर्फ 80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. यानी किसानों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता और वह अगली फसलों की तैयारी जल्दी कर सकते हैं. इसके अलावा, यह किस्म डाउन माइल्ड्यू (Downy mildew) और ब्लास्ट (Blast) नाम की बीमारियों के प्रति भी काफी हद तक भी काफी प्रतिरोधक मानी जाती है. बात करें इस किस्म की उत्पादन कि तो इसकी औसतन उपज 2.3 टन प्रति हेक्टेयर की होती है, जो फसलों की एक अच्छी मात्रा मानी जाती है.

किसानों को मिलेगा सीधा फायदा

यह किस्म खासतौर पर उन इलाकों के किसानों के लिए बेस्ट साबित हो सकती है, जहां मौसम की स्थिति तेजी से बदलती हो और फसलों को काम समय में कटाई की जरूरत पद जाती हो. इस किस्म को उगाना भी ज्यादा मुश्किल नहीं है. इसे सामान्य मक्का जैसी देखभाल की जरूरत होती है. लेकिन बीमारियों से इसकी सुरक्षा इसे कम खर्चीला और ज्यादा मुनाफा देने वाला बनती है. इससे उन छोटे किसानों को भी फायदेमंद हो सकता हैं जो कम लागत में उच्च उपज देती है.

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Published: 21 Apr, 2025 | 07:31 PM

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