प्रतिबंधित कीटनाशकों पर सऊदी अरब सख्त…5 साल तक होगी जेल, भारत में भी कड़े नियम
अगर कोई व्यक्ति या कंपनी प्रतिबंधित या नकली कीटनाशकों का निर्माण या आयात करती है, तो उसे कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है. मसौदे में ऐसे मामलों में अधिकतम पांच साल तक की जेल या 1 करोड़ सऊदी रियाल तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है.
Pesticides law: खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और लोगों की सेहत को लेकर दुनिया भर में नियम लगातार सख्त होते जा रहे हैं. इसी दिशा में अब सऊदी अरब एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है. देश में प्रतिबंधित और नकली कीटनाशकों के निर्माण और आयात पर रोक को और प्रभावी बनाने के लिए एक नया मसौदा नियम प्रस्तावित किया गया है. इस नियम के तहत कानून तोड़ने वालों को भारी जुर्माने के साथ-साथ जेल की सजा भी हो सकती है. सरकार का साफ संदेश है कि लोगों की सेहत और खेती के भविष्य से कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
पांच साल तक जेल और करोड़ों का जुर्माना
प्रस्तावित नियमों के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति या कंपनी प्रतिबंधित या नकली कीटनाशकों का निर्माण या आयात करती है, तो उसे कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है. मसौदे में ऐसे मामलों में अधिकतम पांच साल तक की जेल या 1 करोड़ सऊदी रियाल तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है. जरूरत पड़ने पर अदालत दोनों सजाएं एक साथ भी दे सकती है. सरकार का मानना है कि इस तरह के सख्त प्रावधानों से गलत काम करने वालों में डर बनेगा और नियमों का पालन सुनिश्चित होगा.
दोबारा गलती पर सजा होगी दोगुनी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस प्रस्ताव में बार-बार नियम तोड़ने वालों के लिए और भी कड़े प्रावधान किए गए हैं. अगर कोई व्यक्ति तीन साल के भीतर दोबारा वही अपराध करता है, तो उस पर लगने वाली सजा और जुर्माना दोगुना किया जा सकता है. इस व्यवस्था का मकसद यह है कि कोई भी व्यक्ति पहली सजा के बाद दोबारा ऐसा करने की हिम्मत न करे.
छोटी गलती पर पहले चेतावनी
हालांकि सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि हर गलती पर तुरंत जेल या भारी जुर्माना नहीं लगाया जाएगा. अगर कोई उल्लंघन छोटा है और उससे इंसानों, जानवरों, पौधों, पर्यावरण या सार्वजनिक स्वास्थ्य को कोई गंभीर नुकसान नहीं पहुंचता, तो पहले चेतावनी दी जाएगी. इसके साथ ही गलती सुधारने के लिए एक तय समय भी दिया जाएगा. अगर इस अवधि में सुधार नहीं किया गया, तभी आगे की कार्रवाई होगी.
निगरानी और कार्रवाई की जिम्मेदारी
नए मसौदे में अलग-अलग सरकारी संस्थाओं की जिम्मेदारियां भी साफ की गई हैं. सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े कीटनाशकों के मामलों में संबंधित प्राधिकरण उल्लंघनों की जांच करेगा, नियमों की समीक्षा करेगा और सजा तय करने की प्रक्रिया पूरी करेगा. वहीं पर्यावरण और कृषि से जुड़ी एजेंसियां यह सुनिश्चित करेंगी कि नियमों का पालन हो और नुकसान की भरपाई करवाई जाए.
जब्त माल का क्या होगा?
प्रस्तावित नियमों में यह भी बताया गया है कि प्रतिबंधित कीटनाशकों के साथ क्या किया जाएगा. ऐसे उत्पादों को या तो प्रमाणित रासायनिक निपटान कंपनियों के जरिए नष्ट किया जाएगा या फिर उन्हें उनके मूल देश में वापस भेजा जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया का खर्च भी उल्लंघन करने वाले व्यक्ति या कंपनी को ही उठाना होगा.
फैक्ट्री बंद करने तक का अधिकार
सरकार ने खुद को यह अधिकार भी देने का प्रस्ताव रखा है कि गंभीर मामलों में संबंधित फैक्ट्री या यूनिट को अस्थायी रूप से छह महीने तक बंद किया जा सके. अगर मामला बहुत गंभीर हुआ, तो उस यूनिट को स्थायी रूप से बंद करने का फैसला भी लिया जा सकता है. हालांकि जिन पर कार्रवाई होगी, उन्हें प्रशासनिक अदालत में अपील करने का अधिकार भी दिया जाएगा.
भारत में क्या है कीटनाशकों को लेकर नियम
भारत में भी कीटनाशकों के निर्माण, आयात, बिक्री और इस्तेमाल को लेकर सख्त कानूनी व्यवस्था मौजूद है. भारत में फिलहाल कीटनाशकों का नियमन Insecticides Act, 1968 और उससे जुड़े नियमों के तहत किया जाता है. इसके अनुसार बिना पंजीकरण वाले या प्रतिबंधित कीटनाशकों का निर्माण, आयात या बिक्री करना अपराध है. ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर जुर्माना और जेल दोनों का प्रावधान है.
इसके अलावा सरकार समय-समय पर स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरनाक पाए गए कीटनाशकों को प्रतिबंधित या चरणबद्ध तरीके से बंद करती रहती है. हाल के वर्षों में नियमों को और सख्त व आधुनिक बनाने के लिए नए कानून का मसौदा भी तैयार किया गया है, जिसमें नकली और अवैध कीटनाशकों पर कड़ी सजा, कंपनियों की जवाबदेही और किसानों की सुरक्षा पर ज्यादा जोर दिया गया है.
भारत में भी निगरानी एजेंसियों को नमूने जांचने, उत्पाद जब्त करने और उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है, ताकि खेती, पर्यावरण और आम लोगों की सेहत सुरक्षित रह सके.