बिहार चुनाव से पहले सरकार का बड़ा कदम, अक्टूबर में पशुओं की सेहत के लिए जारी हुई खास गाइडलाइन

बिहार सरकार ने अक्टूबर महीने में पशुपालकों के लिए नई सलाह जारी की है. इस गाइडलाइन का उद्देश्य पशुओं को मौसम जनित बीमारियों से बचाना और किसानों को नुकसान से रोकना है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 9 Oct, 2025 | 01:17 PM

Bihar News : बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) की तैयारियां जारी हैं और इसी बीच राज्य के सभी विभाग तेजी से काम में जुट गए हैं. इसी क्रम में पशुपालन विभाग ने अक्टूबर महीने के लिए पशुपालकों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है. इस सलाह में बताया गया है कि बदलते मौसम में पशुओं की सेहत का कैसे ध्यान रखा जाए ताकि उन्हें किसी तरह की बीमारी न हो और किसानों को नुकसान से बचाया जा सके.

अक्टूबर में बदले मौसम से बढ़ता खतरा

सरकार ने अपने जारी निर्देश में कहा है कि अक्टूबर का महीना बदलते मौसम का समय होता है. इस दौरान तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण दुधारू पशुओं पर असर पड़ता है. पशुपालकों को सलाह दी गई है कि वे अपने पशुओं को पर्याप्त तरल कैल्शियम और फास्फोरस (50 से 100 एम.एल.) रोजाना पिलाएं, ताकि दूध उत्पादन पर असर न पड़े और पशुओं की हड्डियां मजबूत रहें. ग्रामीण इलाकों  में यह समस्या आमतौर पर देखने को मिलती है कि मौसम बदलते ही गाय-भैंसों का दूध कम हो जाता है. इस सलाह से किसानों को फायदा मिल सकता है और पशुओं की सेहत बनी रह सकती है.

एच.एस. और बी.क्यू. बीमारी पर अलर्ट

पशुपालन निदेशालय  ने चेतावनी दी है कि अक्टूबर के महीने में एच.एस. (हेमरेजिक सेप्टीसीमिया) और बी.क्यू. (ब्लैक क्वार्टर) जैसी बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं. कई बार यह बीमारियां पूरे गांव में पशुओं को संक्रमित कर देती हैं, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. सरकार ने साफ कहा है कि जिन पशुओं का अब तक टीकाकरण नहीं हुआ है, उन्हें तुरंत सरकारी पशु चिकित्सालय में टीका लगवाएं. इसके साथ ही जिन पशुओं में बीमारी के लक्षण दिख रहे हैं, उनका इलाज बिना देरी के पशु चिकित्सक की देखरेख में कराया जाए.

चुनावी माहौल में ग्रामीण वोटरों पर सरकार की नजर

चुनाव नजदीक हैं और यह कोई छिपी बात नहीं कि बिहार की बड़ी आबादी खेती और पशुपालन पर निर्भर है. सरकार की यह पहल सीधा संदेश देती है कि वह किसानों और पशुपालकों की चिंता कर रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह सलाह न सिर्फ सेहत के लिए है बल्कि यह राजनीतिक रूप से भी अहम कदम है. गांवों में जब पशु स्वस्थ रहेंगे और दूध उत्पादन  में वृद्धि होगी, तो किसान खुश रहेंगे और यही चुनावी रणनीति का हिस्सा भी बन सकता है.

खानपान और देखभाल पर ध्यान दें

सरकार की सलाह में यह भी कहा गया है कि पशुपालक अपने दुधारू पशुओं को पौष्टिक चारा, हरा चारा और साफ पानी दें. पशु शेड को सूखा और साफ रखें ताकि संक्रमण की संभावना न रहे. गांवों में कई बार बारिश के बाद गीली जमीन और गंदगी से पशुओं में खुरपका-मुंहपका  जैसी बीमारियां फैलती हैं. इसलिए पशुपालकों को सलाह दी गई है कि वे अपने पशु शेड में फिनायल या चूना का छिड़काव करें और पशुओं को कीचड़ या गंदे पानी से दूर रखें.

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