Agri Tips: हर साल धान की कटाई के बाद खेतों में बची पराली को किसान अक्सर जला देते हैं. इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी घटती है. लेकिन अब वैज्ञानिक और सरल तकनीक के जरिए यही पराली पशुओं के लिए पौष्टिक चारा बन सकती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, थोड़ी मेहनत और सही विधि अपनाकर किसान बेकार पराली को सुपरफूड में बदल सकते हैं, जो गाय और भैंस के लिए ताकत और दूध उत्पादन बढ़ाने में कारगर साबित होगी.
पराली का महत्व और आम समस्या
धान की कटाई के बाद खेतों में बची पराली को जलाने की प्रथा सालों से चली आ रही है. इससे वातावरण में धुआं फैलता है और प्रदूषण बढ़ता है. साथ ही मिट्टी की उर्वरता भी कम हो जाती है. विशेषज्ञ बताते हैं कि पराली में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो पशुओं के पाचन तंत्र के लिए जरूरी है. लेकिन इसमें प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व कम होने के कारण इसे सीधे पशुओं को खिलाने से पर्याप्त लाभ नहीं मिलता. इस समस्या का समाधान है यूरिया ट्रीटमेंट तकनीक, जो पराली को पौष्टिक बनाने में मदद करती है. इससे पशुओं की ताकत बढ़ती है और दूध उत्पादन में सुधार होता है.
पराली को पौष्टिक बनाने की सामग्री
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस तकनीक को अपनाने के लिए ज्यादा खर्च की जरूरत नहीं है. इसके लिए किसान को केवल कुछ साधारण सामग्री चाहिए:-
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- 100 किलो सूखी पराली
- 4 किलो यूरिया
- 40-50 लीटर पानी
यह सामग्री लगभग हर किसान के पास आसानी से उपलब्ध होती है, इसलिए इसे अपनाना बेहद सरल है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह तरीका बाजार से खरीदे गए महंगे पशु आहार का सस्ता विकल्प भी है.
पराली तैयार करने की आसान प्रक्रिया
सबसे पहले यूरिया को पानी में अच्छी तरह घोलें. ध्यान रखें कि यूरिया पूरी तरह से पानी में मिल जाए, क्योंकि यही घोल पराली को पौष्टिक बनाने में अहम भूमिका निभाता है. तैयार घोल को पुआल पर स्प्रेयर या बाल्टी की मदद से समान रूप से छिड़कें. इसके बाद फावड़े की मदद से पराली को उलट-पलट कर अच्छी तरह मिलाएं. इस बात का ध्यान रखें कि घोल हर तिनके तक पहुंचे, तभी चारा उच्च गुणवत्ता का बनेगा.
पराली को सुरक्षित ढंग से ढकना है जरूरी
भीगी हुई पराली को एक जगह इकट्ठा करें और उस पर तिरपाल या मोटी प्लास्टिक शीट डालकर ढक दें. इसे इस तरह बंद करना जरूरी है कि अंदर हवा बिल्कुल न जा सके. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर हवा जाएगी तो प्रोसेस अधूरा रह जाएगा और पराली सड़ सकती है. इस प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग 21 दिन का समय लगता है. 21 दिन बाद जब पराली को ढकने से बाहर निकाला जाए, तो इसे तुरंत पशुओं को न दें. पहले इसे थोड़ी देर खुले में फैला दें, ताकि अतिरिक्त अमोनिया गैस उड़ जाए. इसके बाद यह पूरी तरह सुरक्षित और पौष्टिक चारा बन जाता है.
पशुओं के लिए हैं फायदेमंद
इस तरह तैयार की गई पराली न केवल पौष्टिक होती है, बल्कि पशुओं की ताकत और दूध उत्पादन में भी वृद्धि करती है. विशेषज्ञ विकास कुमार कहते हैं कि यह तरीका किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है.
- पशुओं का पाचन बेहतर होता है.
- दूध देने की क्षमता बढ़ती है.
- पोषण की कमी पूरी होती है.
- बाजार से महंगा आहार खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती.
- इस तकनीक से किसान एक तीर से दो निशाने साध सकते हैं- पशुओं को पौष्टिक आहार देना और प्रदूषण रोकना.
पर्यावरण और किसानों को लाभ
पराली जलाने से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है. इससे हवा में धुआं फैलता है और स्थानीय निवासियों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है. लेकिन यूरिया ट्रीटमेंट तकनीक अपनाकर किसान पराली को चारा बनाने के साथ ही पर्यावरण की रक्षा भी कर सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस आसान और सस्ती विधि से किसान न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि सतत कृषि और पशुपालन को भी मजबूत कर सकते हैं. यह तकनीक ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए बदलाव और सशक्तिकरण का साधन साबित हो रही है.