सही घर नहीं तो बीमारी तय… जानिए कैसे बनाएं बकरियों के लिए शेड

बकरी पालन में मुनाफा तभी है जब उन्हें सही और हवादार आशियाना मिले, नहीं तो बीमारी हो सकती है. इसके लिए पशुपलाकों को भुरभुरी मिट्टी वाला कच्चा फर्श बनवाना चाहिए, ताकि बकरी को बीमारी से बचाया जा सके.

नोएडा | Updated On: 9 May, 2025 | 09:12 AM

बकरी पालन मुनाफे का सौदा तभी बनता है जब बकरियों को बीमारी से दूर रखा जाए और इसके लिए सबसे अहम है उनका सही घर. अक्सर किसान नस्ल और दूध या मांस पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन रहने की जगह को नजरअंदाज कर बैठते हैं. यही लापरवाही बाद में नुकसान में बदल जाती है. जबकि बकरी का हॉल अगर वैज्ञानिक तरीके से न बनाया जाए तो गैस से लेकर बीमारी तक की मार झेलनी पड़ती है. ऐसे में जरूरी है कि बकरियों के लिए ऐसा हॉल बनाया जाए जो न सिर्फ उनकी सेहत का ख्याल रखे बल्कि कमाई का एक और जरिया भी बने.

ऐसे बनाएं बकरी के लिए शेड

अगर आप 25 से 30 बकरियों का पालन करना चाहते हैं तो उनके लिए 20 फीट लंबा और 20 फीट चौड़ा हॉल बनाना जरूरी है. बकरी का हॉल ऐसा होना चाहिए कि वह उनकी सेहत को नुकसान न पहुंचाए बल्कि उन्हें बीमारियों से बचाए.

सबसे पहली बात यह कि फर्श पक्का नहीं, कच्चा होना चाहिए, ताकि बकरी का पेशाब (यूरिन) जमीन में समा जाए. इसके लिए मिट्टी भुर-भुरी यानी रेत जैसी होनी चाहिए. वजह ये कि बकरी के यूरिन और मेंगनी से मीथेन गैस निकलती है, जो जमीन से 1.5 से 2 फीट की ऊंचाई तक बनी रहती है.

हवादार शेड का निर्माण

अगर बकरियों को इस गैस वाले वातावरण में लंबे समय तक रखा जाए तो वे सांस के जरिए मीथेन इन्हेल करती हैं, जिससे वे बीमार हो सकती हैं. यही वजह है कि अच्छे बकरीपालक हमेशा हवादार, साफ और भुरभुरी मिट्टी वाला हॉल बनाते हैं.

गोबर से कमाई और जैविक खाद

कमाई का एक और जरिया बन सकती है मेंगनी(गोबर) 100 बकरियों पर एक महीने में एक ट्रॉली मेंगनी निकलती है, जो 1 हजार रुपये बिकती है. इसका उपयोग जैविक खाद या गोबर गैस संयंत्र में होता है.

जानें बकरियों की खास नस्लें

  • जमुनापारी बकरी- उत्तर प्रदेश के मथुरा और इटावा इलाके में पाई जाती है. यह नस्ल दूध और मांस दोनों के लिए बेहतर है.
  • बरबरी बकरी- एटा, अलीगढ़ और आगरा में पाई जाती है और खासतौर पर मांस के लिए पालते हैं. इसके कान नली जैसे होते हैं और यह किसानों में लोकप्रिय है.
  • बीटल बकरी- पंजाब के गुरदासपुर और अमृतसर में पाली जाती है. ये दूध और मांस दोनों देती है और 12 से 18 महीने में बच्चे को जन्म देती है.
  • सिरोही बकरी- राजस्थान के सिरोही, अजमेर, बांसवाड़ा और उदयपुर में पाली जाती है. यह 18 से 24 महीने में पहली बार बच्चे को जन्म देती है.
Published: 9 May, 2025 | 09:00 AM