बिना जमीन के कर सकते हैं खेती, तेजी से पॉपुलर हो रही ये तकनीक

ऐरोपोनिक्स तकनीक से खेती करने के कई फायदे हैं जैसे इस तकनीक की मदद से किसान कम जगह में भी खेती कर सकते हैं. क्योंकि इस तकनीक में पौधे हवा और धुंध के जरिए बढ़ते हैं इसलिए इन्हें पानी की भी जरूरत नहीं होती जिसके कारण पानी की भी बचत होती है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 4 May, 2025 | 08:30 AM

बदलते समय के साथ और आधुनिक तकनीकों के मदद से हर क्षेत्र का विकास हो रहा है. इसी कड़ी में भारत में कृषि क्षेत्र भी आधुनिकता की ओर कदम बढ़ा रहा है. किसान अब पारंपरिक खेती छोड़कर कृषि तकनीकों को सीखकर, उनके बारे में जानकारी जुटाकर , आधुनिक तरह से खेती कर रहे हैं .जिससे किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो रहा है. एक समय था जब किसानों को खेती करने के लिए मिट्टी, पानी, जमीन इन सबकी जरूरत होती थी. लेकिन आज आधुनिक तकनीक की मदद से किसान कई विधियों से खेती कर सकते हैं जिनमे मिट्टी की जरूरत ही नही होती है. उन्हीं तकनीकों में से एक है ऐरोपोनिक्स तकनीक.तो चलिए जान लेते हैं क्या है ऐरोपोनिक्स तकनीक और कैसे इसकी मदद से किसान खेती कर सकते हैं.

हवा में बिना मिट्टी के उगती हैं फसलें

ऐरोपोनिक्स एक ऐसी तकनीक है जिसमें पौधे बिना मिट्टी के फलते -फूलते हैं. इस तकनीक में पौधों की जड़ें हवा में रहती हैं और पौधे बिना मिट्टी के नम वातावरण में ग्रो करते हैं. इस तकनीक में भी समय-समय पर पौधों पर पानी और पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाता है. इस तकनीक में किसान को ज्यादा पानी और उर्वरक की जरूरत नहीं होती है. इस तकनीक की यह भी खासियत है कि इसमें किसी भी तरह के कीटनाशक का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है क्योंकि पौधे एक नियमित वातावरण में उगाए जाते हैं.

ऐरोपोनिक्स तकनीक के फायदे

ऐरोपोनिक्स तकनीक से खेती करने के कई फायदे हैं जैसे इस तकनीक की मदद से किसान कम जगह में भी खेती कर सकते हैं. क्योंकि इस तकनीक में पौधे हवा और धुंध के जरिए बढ़ते हैं इसलिए इन्हें पानी की भी जरूरत नहीं होती जिसके कारण पानी की भी बचत होती है. इस तकनीक में मिट्टी से किसी भी तरह की संपर्क नहीं होता है इसलिए पौधों में कीट और रोग लगने का खतरा नहीं होता है. इस तकनीक की मदद से आप अपने घर की बालकनी में भी पौधों को उगा सकते हैं.

मिट्टी रहित खेती क्यों है जरूरी

मिट्टी रहित खेती अब समय की मांग बनती जा रही है. क्योंकि यह जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करती है. साथ ही पानी की बर्बादी और मिट्टी को प्रदूषित होने से भी बचाती है. इस तकनीक के इस्तेमाल से बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद और उच्च उपज की भी ज्यादा संभावना बनी रहती है.

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Published: 4 May, 2025 | 08:30 AM

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