भारत में दूध उत्पादन के लिए साहीवाल नस्ल की गाय को बेहद खास और भरोसेमंद माना जा रहा है. यह नस्ल मूल रूप से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के साहिवाल क्षेत्र से है, लेकिन भारत के किसानों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है. यह गाय कम चारा खाकर भी ज़्यादा दूध देती है और मुश्किल मौसम में भी खुद को ढाल लेती है. यही वजह है कि साहिवाल को “देशी नस्लों की क्वीन” भी कहा जाने लगा है.
कैसे पहचानें साहीवाल गाय?
विशेषताएं जो बनाएं इसे खास
- उत्तम दूध उत्पादन: सामान्यतः साहिवाल गायें रोज 10-15 लीटर दूध देती हैं, लेकिन अच्छी नस्ल की गायें 20 लीटर तक भी दे सकती हैं.
- बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता: यह गाय अन्य विदेशी नस्लों की तुलना में बीमारियों से कम ग्रसित होती है.
- कम खर्च, ज्यादा लाभ: इसका आहार खर्च भी कम होता है, जिससे छोटे किसान भी इसे पाल सकते हैं.
- गर्मी सहनशक्ति: देश के गर्म प्रदेशों में आसानी से रह सकती है.
- उत्तम प्रजनन दर: यह कई वर्षों तक नियमित दूध देती है और बछड़े भी अच्छे होते हैं.
कितनी है इसकी कीमत और कहां उपलब्ध है?
सरकारी प्रयास और बढ़ती मांग
भारत सरकार और कृषि अनुसंधान संस्थान जैसे ICAR, साथ ही विभिन्न राज्य सरकारें साहिवाल नस्ल को बढ़ावा दे रही हैं. कई जगह कृत्रिम गर्भाधान और नस्ल सुधार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. डेयरी सेक्टर में मुनाफे की संभावना देखते हुए अब किसान इस नस्ल को पालने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं.