दूध देने में नंबर वन, जानिए गुजरात की बन्नी भैंस की अनोखी कहानी और अफगान कनेक्शन

बन्नी भैंस गुजरात की एक अनोखी नस्ल है, जो कठिन हालात में भी भरपूर दूध देती है. अफगानिस्तान से आए मालधारी समुदाय द्वारा लाई गई यह भैंस पशुपालन व्यवसाय के लिए बेहद लाभकारी और टिकाऊ विकल्प बन चुकी है.

नोएडा | Published: 10 Aug, 2025 | 04:21 PM

भारत में भैंसों की कई बेहतरीन नस्लें हैं, लेकिन गुजरात की बन्नी भैंस ने अपनी खास खूबियों और जबरदस्त दूध उत्पादन के कारण सबका ध्यान खींचा है. यह भैंस सिर्फ अपनी मेहनती फितरत के लिए नहीं, बल्कि कठिन परिस्थितियों में भी ज्यादा दूध देने के लिए जानी जाती है. यही नहीं, इसका इतिहास भी बहुत रोचक है क्योंकि इस नस्ल की जड़ें अफगानिस्तान से जुड़ी हुई हैं. आइए समझते हैं कि आखिर क्या है बन्नी भैंस की खासियत और क्यों इसे भारत की दूध की रानी कहा जा सकता है.

कहां पाई जाती है बन्नी भैंस?

बन्नी भैंस मुख्य रूप से गुजरात के कच्छ जिले के बन्नी क्षेत्र में पाई जाती है. यही कारण है कि इसका नाम भी बन्नी पड़ा.

  • यह इलाका गर्म और सूखा है.
  • मिट्टी खारी और रेतीली है, खेती के लिए कठिन.
  • फिर भी यहां की भैंसें भरपूर दूध देती हैं.

यह नस्ल करीब 500 साल पहले अफगानिस्तान के हलीब क्षेत्र से आए मालधारी समुदाय द्वारा लाई गई थी, जो भारत में आकर यहीं बस गए और भैंस पालन को आगे बढ़ाया.

बन्नी भैंस की पहचान क्या है?

बन्नी भैंस देखने में मजबूत और आकर्षक होती है:-

  • आमतौर पर काला रंग, कुछ में हल्का कॉपर शेड.
  • दो मजबूत, ऊपर की ओर घुमावदार सींग, जो कुंडली की तरह मुड़ते हैं.
  • मादा भैंस की औसत ऊंचाई 137 सेमी और लंबाई 153 सेमी होती है.
  • शरीर गठीला और ताकतवर होता है.
  • इनकी पहचान उनके शारीरिक ढांचे और खास सींगों से आसानी से की जा सकती है.

दूध देने में सबसे आगे

  • बन्नी भैंसें दूध उत्पादन के मामले में भारत की सर्वश्रेष्ठ नस्लों में से एक मानी जाती हैं.
  • पहली बार बच्चे देने की औसत उम्र: 40.3 महीने.
  • दो ब्यांतों के बीच अंतर: 12 से 24 महीने.
  • एक ब्यांत में औसतन 2857 लीटर दूध, कुछ मामलों में 6054 लीटर तक.
  • दूध में वसा (फैट): औसतन 6.65 फीसदी, यानी पोषक तत्वों से भरपूर.
  • इसलिए यह नस्ल व्यवसायिक दुग्ध उत्पादन के लिए बेहद लाभकारी है.

पालन की खास पद्धति

बन्नी भैंसों को आमतौर पर रात में चराई और दिन में आराम की पद्धति से पाला जाता है

  • ये भैंसें झुंड में रहती हैं, एक झुंड में 15 से 25 भैंसें होती हैं.
  • कहीं-कहीं ये संख्या 100 से 150 तक भी हो सकती है.
  • मादा भैंसों को गर्भावस्था में पोषण युक्त आहार दिया जाता है.
  • इनका पालन विस्तृत प्रणाली (extensive system) में किया जाता है.
  • इस पद्धति से पालन से न केवल भैंसें स्वस्थ रहती हैं, बल्कि उनका दूध उत्पादन भी बेहतर होता है.

Published: 10 Aug, 2025 | 04:21 PM