दरअसल, हम बात कर रहे हैं काली नेपियर घास (Black Napier Grass) की. इसकी रोपाई भी बेहद आसान होती है. कटिंग या जड़ वाले टुकड़ों से इसे खेत में लगाया जा सकता है और इसकी लागत अन्य चारा फसलों की तुलना में काफी कम आती है.
यह घास सामान्य जमीन पर भी उगाई जा सकती है. खासकर जहां पानी की निकासी अच्छी हो, वहां इसका उत्पादन और भी बेहतर होता है. किसान इसे मेड़, खेत की खाली जगह या यहां तक कि गमलों में भी लगा सकते हैं.
एक हेक्टेयर में सालभर 300–400 क्विंटल तक हरा चारा मिलता है. हर 45–50 दिन में कटाई की जा सकती है और पौधे तुरंत फिर से बढ़ जाते हैं, जिससे पशुओं को लगातार चारा मिलता है.
कम पशु पालने वाले किसान भी फायदा ले सकते हैं. अपनी जरूरत पूरी करने के बाद बचा हुआ चारा बाजार में बेचकर सालाना 50 हजार से 1 लाख तक की अतिरिक्त कमाई संभव है.
इस घास में प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है. इसे खाने से पशुओं की सेहत सुधरती है, वे ऊर्जावान रहते हैं और दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है.
नेपियर घास में कीट और फफूंदी का खतरा नहीं होता. एक बार लगाने पर यह 5–6 साल तक उत्पादन देती है. साथ ही, इसकी नरम और स्वादिष्ट बनावट के कारण पशु इसे आसानी से पचा लेते हैं.