किसानों को मिला बड़ा तोहफा, SKUAST-K ने लॉन्च की मक्का-गेहूं-सेब समेत 16 नई किस्में
मक्का की छह नई किस्में इस बार का सबसे बड़ा आकर्षण हैं. इनमें पोषण से भरपूर, जलभराव सहन करने वाली और ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्में शामिल हैं. इसके अलावा दालों की चार नई किस्में और तिलहन व जई की एक-एक किस्म भी जारी की गई है, जो कम पानी में बेहतर उत्पादन दे सकती हैं.
कश्मीर घाटी में बदलते मौसम, अनियमित बारिश, कम होते फसल चक्र और उत्पादन की चुनौतियों के बीच अब किसानों को ऐसी किस्में मिल रही हैं, जो न सिर्फ ज्यादा पैदावार देंगी बल्कि जलवायु के उतार-चढ़ाव को भी बेहतर तरीके से झेल सकेंगी. शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कश्मीर ने मक्का, गेहूं, चावल, दालें, सेब, जई और तिलहन समेत कुल 16 नई किस्मों को किसानों के लिए जारी किया है.
जलवायु बदलाव के दौर में खेती को मजबूत करने की पहल
इन नई किस्मों की घोषणा जम्मू स्थित सिविल सचिवालय में आयोजित राज्य बीज उप-समिति की बैठक में की गई. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि ये किस्में सिर्फ अधिक उत्पादन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पोषण सुरक्षा, फसल की स्थिरता और किसानों की आय बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाएंगी. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इन किस्मों को खास तौर पर जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक परिस्थितियों और मौसम के तेजी से बदलते स्वरूप को ध्यान में रखकर विकसित किया है.
सेब और अनाज की नई किस्मों पर खास फोकस
नई किस्मों में सेब की दो खास किस्में शामिल हैं, जिन्हें उच्च घनत्व बागवानी के लिए तैयार किया गया है. ये किस्में कम जगह में ज्यादा उत्पादन देने के साथ-साथ बेहतर खुशबू और लंबी शेल्फ लाइफ के लिए जानी जाएंगी. अनाज की बात करें तो चावल की एक नई किस्म पारंपरिक मुश्कबुदजी का उन्नत रूप है, जो जल्दी पकने वाली है और रोगों के प्रति ज्यादा प्रतिरोधक मानी जा रही है. गेहूं की नई किस्म भी कम समय में तैयार होकर किसानों को अतिरिक्त लाभ देने में सक्षम होगी.
मक्का, दाल और तिलहन से बढ़ेगी किसानों की आय
मक्का की छह नई किस्में इस बार का सबसे बड़ा आकर्षण हैं. इनमें पोषण से भरपूर, जलभराव सहन करने वाली और ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्में शामिल हैं. इसके अलावा दालों की चार नई किस्में और तिलहन व जई की एक-एक किस्म भी जारी की गई है, जो कम पानी में बेहतर उत्पादन दे सकती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे किसानों को फसल विविधीकरण का भी बड़ा फायदा मिलेगा.
आधुनिक तकनीक से तैयार, बीज जल्द होंगे उपलब्ध
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विश्वविद्यालय के शोध निदेशक प्रोफेसर हारून नाइक ने बताया कि इन किस्मों के विकास में आधुनिक जीनोमिक तकनीक और उन्नत शोध विधियों का इस्तेमाल किया गया है. इससे न सिर्फ किस्मों की गुणवत्ता बेहतर हुई है, बल्कि बीज उत्पादन की प्रक्रिया भी तेज हो सकी है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि औपचारिक अधिसूचना के बाद किसानों के लिए पर्याप्त मात्रा में बीज और पौध सामग्री उपलब्ध करा दी जाएगी.
खेती के भविष्य को लेकर बढ़ी उम्मीद
कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि अब जरूरत है कि इन किस्मों को खेतों तक तेजी से पहुंचाया जाए. अगर सही तरीके से बीज उत्पादन और वितरण की व्यवस्था की गई, तो आने वाले वर्षों में जम्मू-कश्मीर की खेती ज्यादा टिकाऊ, लाभकारी और मौसम के प्रति मजबूत बन सकेगी. किसानों के लिए यह नई किस्में वास्तव में आने वाले मौसम में बेहतर पैदावार और स्थिर आमदनी की नई राह खोल सकती हैं.