मशरूम की खेती में किसने मारी बाजी? बिहार और हरियाणा की टक्कर में कौन निकला आगे?

मशरूम एक ऐसा सुपरफूड है, जिसमें सेहत का खजाना छिपा होता है. इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन B और D के साथ-साथ पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.

नई दिल्ली | Published: 8 Aug, 2025 | 09:12 AM

भारत में जैसे-जैसे लोगों का रुझान हेल्दी फूड की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे कुछ खास फसलों की मांग भी बढ़ रही है. इन्हीं में से एक है मशरूम. खाने में स्वादिष्ट, सेहत के लिए फायदेमंद और कम लागत में मुनाफा देने वाली यह खेती अब किसानों के लिए कमाई की शानदार खेती बन चुकी है.

जहां पहले पंजाब और हरियाणा को मशरूम उत्पादन में अग्रणी माना जाता था, अब एक नया राज्य सबको पीछे छोड़कर नंबर 1 बन गया है और वह है बिहार.

बिहार बना मशरूम उत्पादन का नया किंग

बिहार की मिट्टी और जलवायु मशरूम की खेती के लिए एकदम मुफीद है. नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, देश में होने वाले कुल मशरूम उत्पादन का करीब 11 फीसदी हिस्सा अकेले बिहार से आता है. यहां के कई किसान पारंपरिक खेती छोड़कर अब मशरूम की खेती की ओर रुख कर चुके हैं और अच्छी आमदनी कमा रहे हैं.

टॉप 6 राज्य जो बना रहे हैं मशरूम का ‘हब’

बिहार – 11 फीसदी हिस्सेदारी

ओडिशा – लगभग 10 फीसदी

महाराष्ट्र – करीब 9 फीसदी

उत्तर प्रदेश – लगभग 7 फीसदी

उत्तराखंड – करीब 7 फीसदी

छत्तीसगढ़ – 6.7 फीसदी के आसपास

इन 6 राज्यों का कुल योगदान देश के कुल मशरूम उत्पादन का 55 फीसदी से भी ज्यादा है.

क्यों हो रही है मशरूम की खेती की डिमांड?

मशरूम एक ऐसा सुपरफूड है, जिसमें सेहत का खजाना छिपा होता है. इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन B और D के साथ-साथ पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. खास बात ये है कि यह फैट-फ्री, कोलेस्ट्रॉल-फ्री और कम कैलोरी वाला भोजन है, जो वजन घटाने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है. इम्यूनिटी बढ़ाने से लेकर हार्ट हेल्थ और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने तक, मशरूम को अब आधुनिक विज्ञान भी सुपरफूड की श्रेणी में रखने लगा है.

मशरूम की खेती करना है? तो ध्यान रखें ये बातें-

सबसे पहले करें सही वैरायटी का चुनाव

मशरूम की खेती की शुरुआत सबसे पहले इसकी किस्म चुनने से होती है. भारत में मुख्य रूप से तीन किस्मों की खेती होती है, बटन मशरूम, ऑयस्टर (ढींगरी) मशरूम और मिल्की मशरूम. ठंडे क्षेत्रों के लिए बटन मशरूम उपयुक्त होता है जबकि गर्म और आर्द्र जलवायु में ऑयस्टर और मिल्की मशरूम बेहतर उत्पादन देते हैं. इसलिए, मौसम और क्षेत्र के अनुसार वैरायटी का चुनाव बहुत जरूरी है.

जगह का चुनाव सोच-समझकर करें

मशरूम की फसल को धूप से बचाना जरूरी होता है. इसके लिए ऐसी जगह चुननी चाहिए जो छायादार, साफ-सुथरी और नम हो. मशरूम उत्पादन के लिए कमरे या शेड में कृत्रिम रूप से तापमान और नमी को नियंत्रित करने की सुविधा होनी चाहिए. हवा का प्रवाह अच्छा हो और प्रकाश का सीधा संपर्क न हो, ऐसी जगह मशरूम के विकास के लिए आदर्श मानी जाती है.

इंफ्रास्ट्रक्चर में न करें कोई समझौता

मशरूम संवेदनशील फसल है, जिसमें तापमान (20-28 डिग्री) और आर्द्रता (80-90%) का नियंत्रण अत्यंत जरूरी है. इसके लिए थर्मामीटर, ह्यूमिडिटी मीटर, स्प्रेयर और एग्जॉस्ट फैन जैसे उपकरण जरूरी होते हैं. यदि आप बड़े स्तर पर खेती कर रहे हैं, तो एयर कंडीशनिंग या कूलर की भी जरूरत पड़ सकती है.

कंपोस्ट की गुणवत्ता पर निर्भर है उत्पादन

अच्छे उत्पादन के लिए उत्तम गुणवत्ता का कंपोस्ट तैयार करना अनिवार्य है. कंपोस्ट बनाने के लिए आमतौर पर गेहूं का भूसा, यूरिया, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, जिप्सम और पानी मिलाया जाता है. इस मिश्रण को कई दिनों तक पलट-पलट कर सड़ाया जाता है. यह प्रक्रिया फसल की नींव है, इसलिए इसमें कोई कमी नहीं होनी चाहिए.

स्पॉन लगाने के बाद करें केसिंग

जब स्पॉन (बीज) कंपोस्ट में अंकुरित हो जाए तो उसके ऊपर मिट्टी और खाद का मिश्रण फैलाया जाता है, जिसे ‘केसिंग’ कहते हैं. यह मशरूम के विकास के लिए जरूरी माइक्रो-क्लाइमेट तैयार करता है. केसिंग की सही मोटाई और नमी बनाए रखना अत्यंत आवश्यक होता है.

स्वच्छता और निगरानी से बढ़ेगा उत्पादन

मशरूम की खेती में सबसे अहम बात है साफ-सफाई. पूरे शेड या कमरे को रोगाणुरहित रखना होता है. नमी का संतुलन, समय-समय पर फसल की जांच और कीटों से बचाव की व्यवस्था नियमित करनी चाहिए. यदि सही देखरेख हो, तो मशरूम की एक खेप से ही अच्छा लाभ कमाया जा सकता है.

शुरुआती किसान क्या करें?

अगर आप पहली बार मशरूम की खेती कर रहे हैं, तो किसी प्रशिक्षण संस्थान या कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग लेना लाभकारी रहेगा. वहीं, सरकार की ओर से भी मशरूम खेती के लिए कई तरह की सहायता योजनाएं चल रही हैं, जिनका लाभ लिया जा सकता है.

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