उत्तर प्रदेश में पेड़ लगाना बना कमाई का जरिया, किसानों के लिए शुरू हुई कार्बन क्रेडिट योजना
भारत सरकार ने वर्ष 2070 तक देश को कार्बन न्यूट्रल बनाने का बड़ा लक्ष्य तय किया है. इसका मतलब है कि जितनी ग्रीनहाउस गैसें वातावरण में छोड़ी जाएंगी, उतनी ही या उससे अधिक गैसों को सोखा भी जाएगा ताकि संतुलन बना रहे.
उत्तर प्रदेश के किसान अब केवल खेत से ही नहीं, पेड़ों से भी कमाई कर सकते हैं. जी हां, योगी सरकार ने किसानों के जीवन को हरा-भरा बनाने और पर्यावरण को बचाने के लिए एक शानदार योजना शुरू की है ‘कार्बन क्रेडिट फाइनेंस योजना’. इस योजना के तहत अब जो किसान पेड़ लगाएंगे, उन्हें हर पेड़ के बदले अच्छी-खासी आमदनी होगी.
इसकी शुरुआत खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में पौधरोपण महाभियान के दौरान की. पहले चरण में 401 किसानों को 25.45 लाख रुपये की राशि चेक के रूप में सौंपी गई. सोचिए, पेड़ लगाकर सीधा बैंक अकाउंट में पैसा आना इससे बेहतर कमाई का साधन क्या हो सकता है?
क्या है ये कार्बन क्रेडिट योजना?
दरअसल, जब किसान अपने खेतों या मेड़ों पर पेड़ लगाते हैं, तो वे पेड़ वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों को सोखते हैं. पेड़ों द्वारा गैसों को सोखने की इस प्रक्रिया को मापने का एक पैमाना होता है, जिसे “कार्बन क्रेडिट” कहा जाता है. हर एक टन गैस सोखने पर किसान को 1 कार्बन क्रेडिट मिलता है. इस क्रेडिट की अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छी खासी कीमत होती है लगभग 6 डॉलर यानी करीब 500 रुपये. उत्तर प्रदेश सरकार इस क्रेडिट का मूल्य तय कर सीधे किसानों के बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए राशि भेजती है. यह न सिर्फ पर्यावरण को लाभ पहुंचाता है, बल्कि किसानों के लिए एक नया आमदनी का जरिया भी बनता है.
किन जिलों को अब तक मिला फायदा?
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई ‘कार्बन क्रेडिट फाइनेंस योजना’ के पहले चरण में गोरखपुर, बरेली, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद और सहारनपुर मंडलों को शामिल किया गया है. इन क्षेत्रों के किसानों ने पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हुए अब तक 42 लाख से अधिक कार्बन क्रेडिट अर्जित किए हैं.
पहले चरण के तहत सरकार ने 244 किसानों को 49.55 रुपये लाख की आर्थिक सहायता पहले ही प्रदान की थी. अब योजना के विस्तार के साथ 401 और किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा है, जिससे यह साफ हो जाता है कि यह योजना किसानों के लिए आर्थिक मजबूती का नया रास्ता खोल रही है.
योजना का विस्तार पूरे यूपी में
उत्तर प्रदेश सरकार ‘कार्बन क्रेडिट फाइनेंस योजना’ को और अधिक असरदार बनाने के लिए इसका विस्तार कर रही है. दूसरे चरण में यह योजना अब देवीपाटन, अयोध्या, झांसी, मिर्जापुर, कानपुर, वाराणसी और अलीगढ़ मंडलों में लागू की जाएगी. सरकार का लक्ष्य है कि तीसरे चरण में इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाए, ताकि हर जिले के किसान इस योजना से जुड़कर पर्यावरण की रक्षा करते हुए अपनी आमदनी भी बढ़ा सकें.
इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए टेरी (TERI) – The Energy and Resources Institute तकनीकी मदद दे रहा है. टेरी की टीम किसानों द्वारा लगाए गए पेड़ों की निगरानी, मूल्यांकन और कार्बन क्रेडिट की सटीक गणना करती है, ताकि उन्हें सही लाभ मिल सके.
कार्बन न्यूट्रल भारत की ओर एक मजबूत कदम
भारत सरकार ने वर्ष 2070 तक देश को कार्बन न्यूट्रल बनाने का बड़ा लक्ष्य तय किया है. इसका मतलब है कि जितनी ग्रीनहाउस गैसें वातावरण में छोड़ी जाएंगी, उतनी ही या उससे अधिक गैसों को सोखा भी जाएगा ताकि संतुलन बना रहे. उत्तर प्रदेश की ‘कार्बन क्रेडिट फाइनेंस योजना’ इस दिशा में एक बेहद अहम और दूरदर्शी पहल है. यह न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा करती है, बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ाने का भी एक मजबूत जरिया बन रही है.
आवेदन कैसे करें?
कार्बन क्रेडिट योजना का आसान स्टेप-बाय-स्टेप तरीका:
पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन)
सबसे पहले किसान को उत्तर प्रदेश वन विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना होगा. बिना रजिस्ट्रेशन के योजना का लाभ नहीं मिलेगा.
प्रतिबद्धता जताएं
किसान को यह वचन देना होगा कि वह कम से कम 25 पेड़ लगाएगा और उनकी देखभाल करेगा.
जमीन और सुरक्षा की जानकारी दें
किसान को यह बताना होगा कि वह पेड़ कहां लगाएगा और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए क्या उपाय करेगा, जैसे बाड़ लगाना या पानी देना.
पौधों की आपूर्ति
वन विभाग उपयुक्त प्रजातियों के पौधे खुद किसानों को देगा, ताकि वे आसानी से पेड़ लगा सकें.
परियोजना रिपोर्ट बनाएं
किसान को ACCU प्रोजेक्ट रिपोर्ट और क्रेडिटिंग फॉर्म ऑनलाइन सर्विस पोर्टल पर भरना होगा. इसमें पेड़ लगाने की योजना और उसका प्रभाव बताया जाएगा.
जरूरी दस्तावेज जमा करें
- ऑफसेट रिपोर्ट (Offset Report)
- हस्ताक्षर किया हुआ आवेदन फॉर्म
- अगर लागू हो तो ऑडिट रिपोर्ट
- और कोई अन्य जरूरी प्रमाण जो पेड़ लगाने के तरीके से जुड़ा हो.
परियोजना लागू करें
पेड़ लगाने के बाद किसान को सुझाए गए कार्बन फार्मिंग तरीकों को अपने खेत में लागू करना होगा.
निगरानी और रिपोर्टिंग
किसान को समय-समय पर यह बताना होगा कि पेड़ कैसे बढ़ रहे हैं, मिट्टी की स्थिति, उपज और गैसों के उत्सर्जन में क्या बदलाव आया है.
कार्बन क्रेडिट की गणना
पेड़ जितनी ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं, उतने ही कार्बन क्रेडिट मिलते हैं. सरकार इनकी गणना करवाती है.
आमदनी की शुरुआत
अब किसान इन कार्बन क्रेडिट को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचकर अतिरिक्त कमाई कर सकता है. ये आमदनी पेड़ों की कीमत के अलावा होती है.