गेहूं की बंपर खरीद से केंद्र सरकार उत्साहित है. आने वाले समय में सरकार गेहूं निर्यात पर बड़ा फैसला ले सकती है. इसका संकेत खुद उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दिया है. उन्होंने कहा कि गेहूं निर्यात दोबारा शुरू करने पर फैसला लिया जा सकता है. लेकिन इससे पहले खाद्य मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय से बातचीत करनी होगी और उपलब्धता और वैश्विक मांग की स्थिति का विश्लेषण करेगा.
मंत्री ने कहा कि इस साल गेहूं की सरकारी खरीद अच्छी चल रही है और पिछले साल की तुलना में खाद्य भंडार की स्थिति बेहतर है. सरकार भंडारण क्षमता बढ़ाने और गोदामों की कार्यक्षमता सुधारने पर भी काम कर रही है, ताकि अनाज की बर्बादी रोकी जा सके.उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से पहले बॉर्डर वाले राज्यों में भरपूर खाद्य भंडार पहुंचा दिया गया है.
320 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद की उम्मीद
मंत्री ने भरोसा दिलाया कि खाने-पीने की चीजों की कमी को लेकर चिंता की कोई जरूरत नहीं है. सरकार को भरोसा है कि इस साल गेहूं उत्पादन 320 लाख मीट्रिक टन से ऊपर जाएगा, जिसमें से लगभग 184 लाख मीट्रिक टन प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के लिए इस्तेमाल होगा.
खाद्य तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि खाद्य तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे कच्चे तेल और खाद्य तेल के अंतरराष्ट्रीय दाम, सरसों की उपलब्धता और शुल्क में बढ़ोतरी जैसी वजहें हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि एक महीने में स्थिति बेहतर हो जाएगी और भंडारण ठीक रहेगा. उन्होंने कहा कि सरकार खाद्य तेल की कीमतों पर नजर रखे हुए है और जरूरत पड़ने पर सही समय पर दखल देगी.
50 लाख मीट्रिक टन चीनी का स्टॉक
चीनी के बारे में बात करते हुए सचिव ने कहा कि अक्टूबर-नवंबर में जब मौजूदा चीनी सीजन खत्म होगा, तब तक देश में 50 लाख मीट्रिक टन चीनी का स्टॉक होगा, जो अगले दो महीनों की जरूरत के लिए पर्याप्त रहेगा. इसके बाद नई फसल आनी शुरू हो जाएगी. उन्होंने कहा कि इस बार गन्ने की फसल अच्छी होने की उम्मीद है और आगे चलकर चीनी उत्पादन या कीमतों को लेकर कोई परेशानी नहीं होगी.