भारत से टेंशन लेने के बाद पाकिस्तान में व्यापार पड़ा ठप, चावल निर्यात में आई भारी गिरावट

सिंध में अशांति और भारत के साथ तनाव के चलते पाकिस्तान का चावल निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ है. बंदरगाहों पर जाम, ईरान बॉर्डर बंद और ट्रांसशिपमेंट रुकने से अप्रैल में निर्यात गिरकर 44,000 टन रह गया है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 24 May, 2025 | 09:13 AM

पाकिस्तान के चावल निर्यात को इस समय कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. एक ओर सिंध प्रांत में जारी अशांति ने हालात बिगाड़े हैं तो वहीं दूसरी ओर भारत के साथ तनावपूर्ण संबंधों के कारण शिपमेंट में भी दिक्कतें आ रही हैं. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में पाकिस्तान का चावल निर्यात घटकर सिर्फ 44,000 टन के आसपास रह गया, जो मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक का सबसे कम स्तर है. मई 7 से 11 के बीच भारत द्वारा पाकिस्तान के आतंकी शिविरों पर की गई कार्रवाई के बाद कराची, कासिम और साउथ एशिया टर्मिनल पर कामकाज प्रभावित हुआ. दरअसल, 27 अप्रैल को कश्मीर में 27 पर्यटकों की हत्या के बाद यह जवाबी कार्रवाई की गई थी.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान कम से कम एक हफ्ते तक पाकिस्तान के बंदरगाहों पर संचालन ठप रहा, जिससे कंटेनरों की भारी भीड़ और जाम की स्थिति बन गई, खासकर पोर्ट कासिम पर. अब हालात यह हैं कि बड़े जहाज (मदर वेसेल्स) पाकिस्तान के बंदरगाहों की ओर नहीं जा रहे हैं, क्योंकि भारतीय बंदरगाहों से उन्हें सुरक्षा कारणों के चलते ट्रांसशिपमेंट की इजाजत नहीं दी जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अप्रैल में पाकिस्तान के चावल निर्यात में आई गिरावट की एक बड़ी वजह ईरान बॉर्डर का अस्थायी रूप से बंद होना था. यह बॉर्डर बासमती चावल के निर्यात का एक अहम रास्ता है.

सिंध प्रांध में राष्ट्रवादी संगठनों का प्रदर्शन

इसके अलावा, अप्रैल के आखिरी हफ्ते में सिंध के राष्ट्रवादी संगठनों ने सिंचाई के पानी के बंटवारे को लेकर इंडस हाईवे पर प्रदर्शन किया, जिससे सड़क यातायात बाधित हुआ और कराची बंदरगाह पर कंटेनरों की लंबी कतारें लग गईं. हालांकि उस समय प्रदर्शन थम गए थे, लेकिन इस हफ्ते फिर से हिंसक रूप ले चुके हैं. बुधवार को सिंध में इंडस नदी पर नए नहर निर्माण प्रोजेक्ट को लेकर हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुए, जिसमें पुलिस फायरिंग में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. सिंध के लोग नए नहरों के निर्माण का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि इससे उन्हें पहले से ही सीमित इंडस नदी का पानी और भी कम मिलेगा, खासकर पीने के लिए.

चावल की लोडिंग प्रभावित हो रही है

भारत-पाक तनाव के चलते शिपिंग में आ रही दिक्कतों से बीमा, बैंक गारंटी और इमरजेंसी ऑपरेशनल चार्ज जैसी लागतें भी काफी बढ़ गई हैं. एक ट्रेडर ने कहा कि भारत से विवाद के चलते कंटेनर कराची नहीं जा पा रहे हैं, जिससे चावल की लोडिंग प्रभावित हो रही है. इस स्थिति का सीधा फायदा भारत को मिल रहा है, जहां चावल के निर्यात में कोई दिक्कत नहीं है. भले ही अभी अफ्रीकी और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के पास भंडारण अधिक है और मांग थोड़ी धीमी है, लेकिन तीसरी तिमाही में मांग फिर से बढ़ने की उम्मीद है.

सिंधु जल संधि खत्म होने से बढ़ी पाकिस्तान की चिंता

नई दिल्ली के निर्यातक राजेश पहाड़िया जैन ने कहा कि सिर्फ मौजूदा हालात नहीं, बल्कि भारत द्वारा 1960 में हुए सिंधु जल संधि को एकतरफा खत्म करना भी पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय है. इससे वहां की खरीफ और रबी की धान की फसलें पानी की कमी से प्रभावित हो सकती हैं. ऐसे पाकिस्तान हर साल करीब 1 करोड़ टन चावल का उत्पादन करता है. आमतौर पर धान की बुआई 15 मई के आसपास शुरू होती है. पंजाब और सिंध जैसे राज्यों को सिंचाई के लिए नहरों पर निर्भर रहना पड़ता है. बड़े किसान तो बोरवेल से काम चला सकते हैं, लेकिन छोटे किसानों के लिए स्थिति मुश्किल हो सकती है.

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Published: 24 May, 2025 | 09:08 AM

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