15 जून से शुरू होगा पशुओं का कंट्रोल रूम, बाढ़-ओलावृष्टि से बचाने की पूरी तैयारी

राजस्थान पशुपालन विभाग ने 15 जून से राज्य एवं जिला स्तरीय कंट्रोल रूम शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली है, ताकि प्राकृतिक आपदाओं से पशुओं को बचाया जा सके और उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित हो.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 6 Jun, 2025 | 07:01 PM

राजस्थान में मानसून के सक्रिय होने की संभावना बढ़ती जा रही है. इसके साथ ही प्रदेश में अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, बाढ़ और जलभराव की आशंका भी बनी हुई है. ऐसे में प्रदेश के पशुधन की सुरक्षा के लिए समय रहते व्यापक और प्रभावी प्रबंध करना बेहद जरूरी हो गया है. इस तैयारी के तहत राजस्थान पशुपालन विभाग ने 15 जून से राज्य एवं जिला स्तरीय कंट्रोल रूम शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली है, ताकि प्राकृतिक आपदाओं से पशुओं को बचाया जा सके और उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित हो.

पशु संरक्षण संस्थाओं को दिशा-निर्देश जारी

पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. आनंद सेजरा ने बताया कि प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सभी पशु संरक्षण संस्थाओं को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि पशुओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे. विभाग को आदेश दिए गए हैं कि किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहें. इसके तहत 15 जून से राज्य एवं जिला स्तर पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाए जाएंगे, जो लगातार सक्रिय रहेंगे. इसके अलावा, जिला और ब्लॉक स्तर पर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर विभाग की तैयारियों को और मजबूत बनाया जाएगा.

पशुओं में संभावित रोगों से बचाव के उपाय

डॉ. सेजरा ने यह भी बताया कि ओलावृष्टि और बाढ़ जैसी परिस्थितियों में पशुओं में संभावित रोगों से बचाव के लिए शीघ्र कार्यवाही दलों का गठन किया जाएगा. ये दल जिला और उपखंड स्तर पर बनाए जाएंगे और उनकी सूचना संबंधित प्रशासन को दी जाएगी. पशु चिकित्सा संस्थानों में जीवनरक्षक दवाइयों और जरूरी कन्ज्यूमेबल्स की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं. साथ ही, सर्वेक्षण और रोग निदान केंद्रों के अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में रोग नियंत्रण कार्यों की सतत मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग करने को कहा गया है. बाढ़ से होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए आवश्यक टीकाकरण भी समय से पूरा कराया जाएगा ताकि पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे.

चारा-पानी की व्यवस्था और जागरूकता

प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से पशुओं के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल चिन्हित किए जाएंगे. जिला प्रशासन सुनिश्चित करेगा कि वर्षा काल में पशुओं के लिए पर्याप्त चारा और पानी समय पर उपलब्ध हो. मृत पशुओं का सुरक्षित और वैज्ञानिक निस्तारण भी बड़ी चुनौती है, जिसके लिए स्थानीय निकायों को तकनीकी सहायता दी जाएगी. साथ ही, पशुपालकों को वर्षा के मौसम में अपने पशुओं की सही देखभाल और सुरक्षा के लिए जागरूक करने के अभियान चलाए जाएंगे. इस पूरी व्यवस्था का उद्देश्य है कि मानसून के दौरान पशुधन को किसी भी तरह की आपदा से बचाया जा सके और उनका स्वास्थ्य ठीक रहे.

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