कीटनाशक छोड़ो…ये पौधा करेगा फसल की रक्षा, कीटों का होगा सफाया

उत्तराखंड में संरक्षित कीटभक्षी पौधों से बिना कीटनाशक के फसल बचाने का प्राकृतिक तरीका सामने आया है. ये पौधे कीटों को खाकर फसलों की रक्षा करते हैं और पर्यावरण के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित हैं.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 6 Jun, 2025 | 03:38 PM

खेती में कीटों से बचाव के लिए किसान लंबे समय से रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भर रहे हैं, जो फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को मारने का काम करते हैं. लेकिन इन रासायनिक दवाओं के उपयोग से पर्यावरण, मिट्टी और मानव स्वास्थ्य को गंभीर खतरे भी हैं.अब एक प्राकृतिक और प्रभावी विकल्प सामने आया है कीट भक्षी पौधे. ये पौधे अपने आप कीटों को फंसाकर उन्हें खा जाते हैं, जिससे फसलों को कीटों से होने वाला नुकसान कम हो सकता है. उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में इस पौधे को संरक्षित कर किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए बेहतर विकल्प तैयार किया जा रहा है.

प्राकृतिक कीट नियंत्रण का अनोखा तरीका

बात करें इन पौधों की तो ये सामान्यतया मिट्टी, पानी और सूरज की ऊर्जा से अपने लिए पोषण लेते हैं. लेकिन कुछ विशेष प्रकार के पौधे कीट भक्षण की क्षमता रखते हैं. ये कीट भक्षी पौधे कीट पतंगों और छोटे जीव-जंतुओं को अपने स्पर्शक पत्तियों की मदद से फंसा कर उन्हें पचा लेते हैं. समाचार एजेंसी प्रसार भारती के अनुसार, उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र में इस पौधे को संरक्षण दिया जा रहा है ताकि जैव विविधता को बचाया जा सके. ये पौधे न केवल पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं बल्कि कीटनाशकों की जगह ले कर फसलों की रक्षा में भी मददगार साबित हो सकते हैं.

कीट भक्षी उद्यान और इसके फायदे

उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र के वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी के अनुसार, केंद्र ने जैव विविधता के संरक्षण के लिए कीट भक्षी उद्यान की स्थापना की है. यह उद्यान इन पौधों के संरक्षण के साथ-साथ शोध और शिक्षा का केंद्र भी है. यहां के पौधों की पत्तियां लाल रंग की छोटी ग्रंथियों से ढकी होती हैं, जो कीटों को आकर्षित कर फंसाने का काम करती हैं. इस प्रकृति-प्रेरित तकनीक से किसान रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता कम कर सकते हैं, जिससे फसल भी स्वस्थ रहेगी और पर्यावरण प्रदूषण भी घटेगा.

प्राकृतिक आवास और संरक्षण की जरूरत

उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कीट भक्षी पौधों का प्राकृतिक आवास है, जहां मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी होती है और ये पौधे कीटों पर निर्भर रहते हैं. इस वजह से ये पौधे वहां के पारिस्थितिक तंत्र का अहम हिस्सा हैं. शोधकर्ता चंद्रमोहन बताते हैं कि कीट भक्षी उद्यान की स्थापना से नई पीढ़ी में प्रकृति के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और जैव विविधता के संरक्षण में मदद मिलेगी. किसानों के लिए भी यह पौधा एक प्राकृतिक और टिकाऊ विकल्प साबित होगा, जिससे वे फसलों की रक्षा बिना रसायनों के कर सकेंगे.

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