Bihar News: सितंबर के महीने में तापमान में होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण मौसम में नमी आने लगती है, जिसके कारण अकसर पशुओं में कई तरह के रोगों और कीटों का खतरा बढ़ जाता है. दरअसल, इन दिनों नमी होने के कारण पशुओं में कई तरह के फफूंद जनित रोगों के संक्रमण होना की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में पशुओं को न केवल स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं, बल्कि उनकी दूध उत्पादन की क्षमता भी कम होने लगती है. इस स्थिति में बिहार पशु निदेशालय एवं मत्स्य विभाग ने पशुपालकों के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें पशुओं के चारे को लेकर कुछ जरूरी निर्देश दिए गए हैं, जिनका पालन कर पशुओं को रोगों के संक्रमण से बचाया जा सकता है.
पशुओं के खाने में शामिल करें साइलेज
सितंबर के महीने में वातावरण में नमी होने के कारण पशुओं में पोषण की कमी होने लगती है. साथ ही कई तरह के रोगों के संक्रमण का खतरा भी मंडराने लगता है. ऐसे में पशुपालकों के लिए बेहद जरूरी है कि वे पशुओं को दिए जाने वाले खाने का खास खयाल रखें. इस स्थिति में पशुपालकों को ये सलाह दी जाती है कि वे पशुओं को दिए जाने वाले खाने में साइलेज को शामिल करें. बता दें कि साइलेज एक तरह का हरा चारा है जिसे विशेष तरीके से एयरटाइट वातावरण में सड़ाकर तैयार किया जाता है. मुख्य तौर पर इसे मक्का, ज्वार, बाजरा या नेपियर घास से बनाया जाता है. इसकी खासियत है कि इसे लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है.

सितंबर के महीने में पशुओं के खाने का रखें खास खयाल (Photo Credit- Bihar Government)
फफूंद जनित रोगों से मिलेगा छुटकारा
नमी के कारण पशुओं को दिया जाने वाला चारा अकसर सड़ जाता है या फिर उसमें फफूंद लग जाती है, जिस कारण से पशुओं में कई तरह के रोगों का संक्रमण हो जाता है. फफूंद लगा चारा खाने से पशुओं में लिविर संबंधी समस्याएं होने लगती हैं, जिसके कारण उनकी दूध उत्पादन की क्षमता भी कम होने लगती है. ऐसी स्थिति में पशुओं को साइलेज खिलाना बेहद ही फायदेमंद होता है. साइलेज में हवा न होने के कारण फफूंद नहीं लगती है, इसलिए इसका सेवन करने से पशुओं में किसी तरह की बीमारी नहीं होती है और वे स्वस्थ रहते हैं.
पशुओं को कैसे होता है फायदा
बिहार पशु निदेशालय द्वारा सोशल मीडिया पर दी गई जानकारी के अनुसार, पशुओं को साइलेज देने के कई फायदे हैं. साइलेज के सेवन से पशुओं में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट और मिनरल्स पहुंचते हैं जो कि सामान्य चारे के तुलना में तीन गुना ज्यादा पौष्टिक होता है. बता दें कि, साइलेज खाने वाले पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता 15 से 30 फीसदी तक बढ़ जाती है. साइलेज तैयार करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि पशपुालक इसे 6 महीने से लेकर 1 साल तक स्टोर करके रख सकते हैं, ताकि बरसात के दिनों में या किसी भी कारण से चारे की कमी होने पर इसका इस्तेमाल किया जा सके.