रात में क्यों चमकते हैं जुगनू? जानिए कैसे बनाते हैं अपनी खुद की ‘लाइट’
आज जुगनू पहले की तरह दिखाई नहीं देते. शहरों की तेज रोशनी, प्रदूषण, कीटनाशकों और जंगलों के घटने से उनका प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है. वैज्ञानिकों के अनुसार, जुगनू “प्राकृतिक पर्यावरण के हेल्थ इंडिकेटर” हैं यानी जहां जुगनू हैं, वहां प्रकृति संतुलित है.
Fireflies Glow: जब रात का अंधेरा धीरे-धीरे फैलता है और आसमान पर तारे चमकने लगते हैं, तभी धरती पर भी कुछ छोटे-छोटे ‘तारे’ टिमटिमाने लगते हैं. ये हैं जुगनू, जो अपने शरीर से खुद रोशनी पैदा करते हैं. बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर किसी को ये चमकते जुगनू मोह लेते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये नन्हे कीड़े अंधेरे में कैसे चमकते हैं? क्या इनके अंदर कोई बल्ब होता है या यह किसी जादू से होता है? दरअसल, यह जादू नहीं बल्कि प्रकृति और विज्ञान का सुंदर संगम है.
कैसे बनती है जुगनू के भीतर रोशनी
जुगनू की यह चमक वैज्ञानिक रूप से “बायोलुमिनिसेंस (Bioluminescence)” कहलाती है. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जीवित प्राणी अपने शरीर में रासायनिक प्रतिक्रिया (chemical reaction) के जरिए रोशनी पैदा करते हैं.
जुगनू के शरीर के पिछले हिस्से में एक विशेष कोशिका होती है जिसमें दो महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते हैं ल्यूसिफेरिन (Luciferin) और ल्यूसिफेरेज (Luciferase). जब जुगनू सांस लेता है, तो हवा में मौजूद ऑक्सीजन इन रसायनों के साथ मिलती है और एक रासायनिक प्रतिक्रिया होती है. इस प्रक्रिया में ऊर्जा निकलती है, जो लाइट के रूप में दिखाई देती है.
दिलचस्प बात यह है कि इस रोशनी में गर्मी बहुत कम होती है, इसलिए इसे ‘ठंडी रोशनी’ कहा जाता है. यही कारण है कि जुगनू बिना जलन या नुकसान के लगातार चमक सकते हैं.
क्यों चमकते हैं सिर्फ रात में?
अब यह सवाल भी मन में आता है कि जुगनू सिर्फ रात में ही क्यों चमकते हैं? इसका जवाब उनकी जीवनशैली और प्रजनन व्यवहार में छिपा है.
साथी को आकर्षित करने के लिए नर जुगनू रात के अंधेरे में उड़ते हुए रोशनी की झिलमिलाहट से संकेत भेजते हैं. हर प्रजाति का अपना खास लाइट पैटर्न होता है. मादा जुगनू उस पैटर्न को पहचानकर जवाब देती है. इस तरह वे एक-दूसरे को अंधेरे में भी ढूंढ लेते हैं. दिन में यह रोशनी सूरज की तेज रोशनी में दिखाई नहीं देती, इसलिए यह पूरा “संवाद” रात में ही संभव होता है.
सुरक्षा का भी तरीका है चमक
जुगनू की यह चमक सिर्फ आकर्षण के लिए नहीं होती, बल्कि सुरक्षा कवच का काम भी करती है. प्रकृति ने जुगनू को यह खूबी दी है ताकि वे अपने शिकारियों से बच सकें. उनकी चमक शिकारियों के लिए एक चेतावनी होती है कि वे खाने लायक नहीं हैं.
जुगनू के शरीर में कुछ ऐसे रसायन होते हैं जो उन्हें कड़वा और कभी-कभी जहरीला बना देते हैं. पक्षी या मेंढक जैसे जीव जब यह चमक देखते हैं, तो समझ जाते हैं कि यह भोजन नहीं, बल्कि एक खतरे का संकेत है.
जुगनू घटते जा रहे हैं, वजह इंसान
दुर्भाग्य से, आज जुगनू पहले की तरह दिखाई नहीं देते. शहरों की तेज रोशनी, प्रदूषण, कीटनाशकों और जंगलों के घटने से उनका प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है. वैज्ञानिकों के अनुसार, जुगनू “प्राकृतिक पर्यावरण के हेल्थ इंडिकेटर” हैं यानी जहां जुगनू हैं, वहां प्रकृति संतुलित है.
अगर हम चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियां भी इन चमकते तारों का आनंद ले सकें, तो हमें प्रकृति को बचाना होगा क्योंकि जब अंधेरा हो और जुगनू न दिखें, तो समझिए कि कहीं न कहीं हमने अपनी रोशनी खो दी है.