ग्रामीण पर्यटन पर योगी सरकार का जोर, बुंदेलखंड समेत कई क्षेत्रों के खंडहर किलों को संवारेगी
यूपी में ग्रामीण इलाकों की ऐतिहासिक धरोहरों और खंडहर हो रहे किलों को नया जीवनदान देकर ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकेगा. इसके लिए राज्य के 11 विरासत स्थलों को भव्य रूप देकर पर्यटन स्थल में बदला जाएगा.
राज्य के ग्रामीण इलाकों की ऐतिहासिक धरोहरों और खंडहर हो रहे किलों को नया जीवनदान देकर ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकेगा. इसके लिए राज्य के 11 विरासत और ऐतिहासिक स्थलों के साथ ही पुराने किलों को भव्य रूप देकर पर्यटन स्थल में बदला जाएगा. इससे ग्रामीण इलाकों के विकास में तेजी आएगी साथ ही रोजगार के साधन भी पैदा होंगे. बता दें कि 2024 में 65 करोड़ पर्यटकों ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थलों का दौरा किया. पर्यटकों की इस संख्या को दोगुना करने के लिए यह पहल शुरू की जा रही है.
यूपी सरकार ने खंडहर में तब्दील हो रहे राज्य के ऐतिहासिक धरोहरों को नया जीवन देने के लिए प्रयास शुरू कर दिये हैं. पर्यटन विभाग प्रदेश के 11 पुराने किलों और भवनों को चमकाने की तैयारी में है. विभाग ने एजेंसियों के माध्यम से इसके लिए अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) आमंत्रित किया है. ये काम पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत होगा, जहां एजेंसी इन जगहों को डिजाइन करेगी, बनाएगी, पैसे लगाएगी, चलाएगी और बाद में सरकार को सौंप देगी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शुरू होने जा रही इस पहल से न सिर्फ इन विरासत किलों और भवनों का इतिहास बचेगा, बल्कि स्थानीय पर्यटन बढ़ेगा और हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलेगा. राज्य सरकार की ओर से विज्ञप्ति में कहा गया है कि पर्यटन स्थलों के विकास से ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलेगा. जबकि, लोगों को इतिहास को करीब से जानने का मौका भी मिलेगा.
पहले चरण में ये किले संवारे जाएंगे
इन 11 विरासत स्थलों में ललितपुर का तालबेहट किला, बांदा का रनगढ़ और भुरागढ़ किला, गोण्डा की वजीरगंज बारादरी, लखनऊ का आलमबाग भवन, गुलिस्तान-ए-एरम और दर्शन विलास, कानपुर की टिकैत राय बारादरी, महोबा का मस्तानी महल और सेनापति महल, झांसी का तहरौली किला और मथुरा का
सीताराम महल (कोटवान किला) शामिल हैं.
होटल, सांस्कृतिक केंद्र और संग्रहालय बनेंगे
ये सभी जगहें अपनी खास वास्तुकला और इतिहास की कहानियों के लिए मशहूर हैं. इनका पुनरोद्धार करके इन्हें होटल, सांस्कृतिक केंद्र या संग्रहालय में बदला जाएगा, ताकि पर्यटक यहां ठहर सकें और इतिहास को करीब से महसूस कर सकें. बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में ये योजना खास तौर पर फायदेमंद होगी, जहां पर्यटन बढ़ने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। सरकार का ये कदम इसलिए भी खास है, क्योंकि इससे यूपी की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के साथ-साथ आधुनिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा.
यूपी को पर्यटन का चहेता डेस्टिनेशन बनाना है
पर्यटन विभाग के मुताबिक ये परियोजना न सिर्फ इन पुरानी इमारतों को नया रूप देगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए रास्ते भी खोलेगी. मुख्यमंत्री ने पहले ही इको-टूरिज्म और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. उनकी ये कोशिशें यूपी को देश और दुनिया में पर्यटन का एक चहेता डेस्टिनेशन बना रही हैं. अयोध्या, काशी, और मथुरा जैसे प्रमुख धार्मिक केंद्रों के साथ-साथ राज्य के अन्य प्राचीन मंदिरों और तीर्थ स्थलों को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए सरकार ने कई योजनाएं लागू की हैं.