किसान इस विदेशी सब्जी की करें बुआई, हर बार कटाई से होती है जबरदस्त कमाई

जुकीनी अब केवल मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं है. टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है. बड़े होटल, कैफे, रेस्टोरेंट और हेल्थ किचन में इसका इस्तेमाल बहुत अधिक हो रहा है.

नई दिल्ली | Published: 3 Sep, 2025 | 04:21 PM

आज के समय में भारतीय किसान केवल पारंपरिक फसलों तक सीमित नहीं रहे. बदलती मांग और स्वास्थ्य-सचेत उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या ने किसानों को नई और विदेशी सब्जियों की ओर आकर्षित किया है. जुकीनी ऐसी ही एक सब्जी है, जिसने पिछले कुछ सालों में अपने लिए बाजार में मजबूत पहचान बनाई है. पहले यह केवल बड़े होटल और विदेशी व्यंजनों में मिलती थी, लेकिन अब यह छोटे शहरों और लोकल मार्केट में भी तेजी से लोकप्रिय हो रही है.

जुकीनी क्या है और क्यों खास है?

जुकीनी, जिसे इटालियन स्क्वैश भी कहते हैं, एक नरम, हरी और लंबी सब्जी है. यह दिखने में तो तोरई जैसी है, लेकिन स्वाद में हल्की और अलग होती है. पोषण की दृष्टि से जुकीनी बेहद लाभकारी है, इसमें विटामिन A, C, पोटैशियम, और डाइटरी फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इसे उबालकर, भूनकर, या सलाद में कच्चा खाया जा सकता है. इसलिए यह हेल्थ-कॉन्शस लोगों और फिटनेस फूड के शौकीनों के लिए पहली पसंद बन गई है.

जुकीनी की बढ़ती बाजार मांग

जुकीनी अब केवल मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं है. टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है. बड़े होटल, कैफे, रेस्टोरेंट और हेल्थ किचन में इसका इस्तेमाल बहुत अधिक हो रहा है. इसकी सालभर उगाई जाने वाली फसल होने के कारण किसान हर सीजन में लाभ कमा सकते हैं.

भारत में जुकीनी की खेती

भारत में जुकीनी की खेती मुख्य रूप से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में की जा रही है. यह सब्जी गर्म मौसम में भी अच्छी तरह बढ़ती है, लेकिन ठंडी जलवायु में इसका उत्पादन और गुणवत्ता बेहतर होती है. जुकीनी की खेती के लिए मिट्टी में जल निकासी अच्छी होनी चाहिए और मिट्टी ज्यादा कठोर नहीं होनी चाहिए.

कम समय में फसल तैयार

जुकीनी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह केवल 50-60 दिनों में तैयार हो जाती है. अगर किसान 1 एकड़ जमीन में जुकीनी की खेती करता है, तो उसे 100-150 क्विंटल तक फसल मिल सकती है. बाजार में इसकी कीमत 30 से 100 रुपये प्रति किलो तक होती है, जो मांग और स्थान के अनुसार बदलती रहती है. इसका मतलब है कि कम समय और कम लागत में भी किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

देखभाल और खेती की आसान तकनीक

जुकीनी की खेती में अधिक खर्च या विशेषज्ञ ज्ञान की जरूरत नहीं है. नियमित सिंचाई, समय-समय पर निराई-गुड़ाई, और जैविक या आवश्यकता अनुसार कीटनाशक का उपयोग काफी होता है. जैविक जुकीनी की मांग अधिक होने के कारण किसान प्रीमियम कीमत पर भी इसे बेच सकते हैं.

किसानों के लिए नई दिशा

जुकीनी उन किसानों के लिए उपयुक्त फसल है, जो पारंपरिक फसलों के साथ नई तकनीक अपनाकर अधिक आय अर्जित करना चाहते हैं. यह न केवल आय बढ़ाती है, बल्कि किसानों को बाजार से सीधे जुड़ने और उपभोक्ताओं की जरूरतों को समझने का मौका भी देती है. धीरे-धीरे जुकीनी भारत में एक लाभकारी और लोकप्रिय सब्जी के रूप में उभर रही है, जो किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और उन्हें नई उम्मीद देने का काम कर रही है.

भविष्य में जुकीनी का महत्व

जुकीनी की खेती का भविष्य उज्जवल है. जैसे-जैसे हेल्थ और फिटनेस ट्रेंड बढ़ रहे हैं, और लोग ऑर्गेनिक और पोषण से भरपूर सब्जियों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जुकीनी किसानों के लिए स्थायी और लाभकारी फसल बन सकती है. इसके साथ ही, सरकार और स्थानीय बाजारों की ओर से किसानों को नई सब्जियों के लिए बढ़ावा मिलने की संभावना भी है, जिससे यह फसल और अधिक लोकप्रिय हो सकती है.

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