पूसा राइस डीएसटी 1 को जीनोम एडिटिंग से तकनीक से तैयार किया गया है. यह कम पानी में भी ज्यादा और अच्छी उपज देगी. यह सूखे और नमक वाले पानी जैसी परिस्थितियों में भी बेहतर प्रदर्शन करती है. यह किस्म बिहार, आंध्र प्रदेश समेत 12 राज्यों में उगाने के लिए उपयुक्त बताई गई है.
इसके पौधों में स्टोमाटा (पत्तियों के छिद्र) की संख्या कम कर दी गई है. इससे पानी का वाष्पीकरण कम होता है और पौधे में नमी लंबे समय तक बनी रहती है. यह किस्म सामान्य धान के मुकाबले ज्यादा टिलर्स (फूलों की शाखाएं) बनाती है और इसके पत्ते बड़े होने के साथ ज्यादा दाने देते हैं.
Registration is necessary before exporting rice
इसकी खासियत है कि यह पारंपरिक किस्मों की तुलना में 19 प्रतिशत तक की अधिक उपज देती है. यह 15-20 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान अन्य फसलों की उपज भी कर सकते हैं और यह मध्यम स्तर की सुखाड़ के प्रति सहनशील होने के साथ उत्तम दाने की गुणवत्ता देने में सक्षम है.
ये दोनों किस्में खासतौर पर उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी हैं, जहां पानी की कमी है या मिट्टी में लवणता (water scarcity or soil salinity) ज्यादा है. कम पानी की जरूरत, बेहतर उत्पादन और जल्दी पकने की क्षमता और उच्च गुणवत्ता वाले दाने होने से इन किस्मों को बाजार में भी बेहतर दाम मिल सकता है.