Sawan 2025: उत्तराखंड में इस दिन से शुरू हो रहा है सावन, जानें इसका महत्व

Sawan 2025 In Uttarakhand: बारिश की रिमझिम फुहारों के बीच जब मंदिर की घंटियां बजती हैं और 'ॐ नमः शिवाय' की गूंज वातावरण को पावन करती है, तब समझ लीजिए कि सावन का महीना दस्तक दे चुका है. ये वो समय है जब शिवभक्त भगवान भोलेनाथ को रिझाने के लिए उपवास रखते हैं, रुद्राभिषेक करते हैं और जल से अभिषेक कर अपनी मनोकामनाओं के पु्र्ण का आशीर्वाद मांगते हैं. इस पावन महीने में शिव की भक्ति से जीवन की हर उलझन सुलझ सकती है.

Isha Gupta
नोएडा | Published: 14 Jul, 2025 | 01:42 PM
1 / 6इस साल सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हुई है और पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ा है. सोमवार शिवजी का विशेष दिन माना जाता है. इस दिन व्रत रखने, बेलपत्र और जल चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है.

इस साल सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हुई है और पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ा है. सोमवार शिवजी का विशेष दिन माना जाता है. इस दिन व्रत रखने, बेलपत्र और जल चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है.

2 / 6सावन का हर दिन शिव आराधना के लिए अति पावन माना गया है. इस महीने में शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और सोमवार व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.

सावन का हर दिन शिव आराधना के लिए अति पावन माना गया है. इस महीने में शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और सोमवार व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.

3 / 6उत्तराखंड में सावन का आरंभ सौर पंचांग के अनुसार 16 जुलाई से माना जाएगा. इसी दिन राज्य का प्रसिद्ध लोकपर्व ‘हरेला’ भी मनाया जाएगा, जो धरती की हरियाली और समृद्धि का प्रतीक है. इस दिन घर-घर में पौधे लगाए जाते हैं और भगवान शिव की कृपा के लिए प्रार्थना की जाती है.

उत्तराखंड में सावन का आरंभ सौर पंचांग के अनुसार 16 जुलाई से माना जाएगा. इसी दिन राज्य का प्रसिद्ध लोकपर्व ‘हरेला’ भी मनाया जाएगा, जो धरती की हरियाली और समृद्धि का प्रतीक है. इस दिन घर-घर में पौधे लगाए जाते हैं और भगवान शिव की कृपा के लिए प्रार्थना की जाती है.

4 / 616 जुलाई को सूर्य देव मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश करेंगे. इसी के साथ उत्तरायण से दक्षिणायन का आरंभ होगा. इसे देवताओं की रात्रि का आरंभ माना जाता है और धार्मिक दृष्टिकोण से यह समय साधना, भक्ति और आत्मशुद्धि के लिए अत्यंत उपयुक्त होता है.

16 जुलाई को सूर्य देव मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश करेंगे. इसी के साथ उत्तरायण से दक्षिणायन का आरंभ होगा. इसे देवताओं की रात्रि का आरंभ माना जाता है और धार्मिक दृष्टिकोण से यह समय साधना, भक्ति और आत्मशुद्धि के लिए अत्यंत उपयुक्त होता है.

5 / 6शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करने से मानसिक तनाव कम होता है, मन स्थिर होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यह क्रिया आध्यात्मिक शुद्धि के साथ-साथ आत्मिक शांति भी देती है.

शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करने से मानसिक तनाव कम होता है, मन स्थिर होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यह क्रिया आध्यात्मिक शुद्धि के साथ-साथ आत्मिक शांति भी देती है.

6 / 6शास्त्रों में उल्लेख है कि शिवलिंग पर इत्र या चंदन अर्पण करने से मन की तामसी प्रवृत्तियां दूर होती हैं. इससे न केवल भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, बल्कि पूजा में दिव्यता और भक्ति का विशेष प्रभाव आता है.

शास्त्रों में उल्लेख है कि शिवलिंग पर इत्र या चंदन अर्पण करने से मन की तामसी प्रवृत्तियां दूर होती हैं. इससे न केवल भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, बल्कि पूजा में दिव्यता और भक्ति का विशेष प्रभाव आता है.

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