भूरा फुदका छोटा सा कीट होते हुए भी धान की फसल को मिट्टी के पास वाले तने से चिपककर रस चूसता है. धीरे-धीरे पौधे कमजोर होकर सूखने लगते हैं और अंत में गिर जाते हैं.
अगर समय पर किसान ध्यान न दें तो यह कीट बेहद तेजी से फैलकर पूरे खेत को चपेट में ले लेता है. इसकी खासियत है कि यह धान को गोल आकार में नुकसान पहुंचाता है.
यह कीट पौधों पर मीठा लार छोड़ता है, जिससे और भी कई पौधे शिकार हो जाते हैं. यही वजह है कि गोल आकार में एक साथ कई पौधे सूखकर बर्बाद हो जाते हैं.
गर्म और आर्द्र मौसम इसके प्रजनन के लिए सबसे अनुकूल माने जाते हैं. साथ ही, नाइट्रोजन का अधिक उपयोग इसे आकर्षित करता है और फसल पर इसका प्रकोप और तेजी से फैलता है.
धान के पौधों में यह कीट लगने पर पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं, उन पर सफेद धब्बे उभर आते हैं. पौधे का विकास रुक जाता है और बने दाने छोटे और कमज़ोर हो जाते हैं.
किसानों को चाहिए कि थायमैथाक्सम (Thiamethoxam) 100 ग्राम को 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें. छिड़काव हमेशा गोले के आकार में बाहर से अंदर की ओर करें, ताकि कीट पूरी तरह नियंत्रित हो सके.