हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में ट्राउट मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है. मत्स्य विभाग ने यहां 10 हजार ब्राउन ट्राउट और रेनबो ट्राउट का बीज संग्रहण किया है. इस पहल से न सिर्फ मछलीपालन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि युवाओं को स्वरोजगार का भी बड़ा मौका मिलेगा. खास बात ये है कि ट्राउट मछली की बाजार में भारी मांग है और इसकी कीमत 1000 से 1500 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है.
10 हजार ट्राउट मछली का सीड कलेक्शन
मत्स्य विभाग के उपनिदेशक कार्यालय ट्राउट फॉर्म पतलीकूहल ने हाल ही में लाहौल स्पीति जिले में 10 हजार ब्राउन ट्राउट और रेनबो ट्राउट के बीज का संग्रहण किया है. इसमें से करीब 1500 बीज शिशु झील, 3000 गोशाल गांव, 3000 जिस्पा में भागा नदी और 2500 दीपक ताल झील में डाले गए. विभाग का कहना है कि यह बीज संग्रहण भविष्य में लाहौल घाटी में मत्स्य आखेट और पर्यटन गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा.
स्वरोजगार की दिशा में नया अवसर
मत्स्य विभाग का यह कदम खासतौर पर युवाओं के लिए स्वरोजगार का बड़ा साधन बन सकता है. उपनिदेशक ट्राउट फार्म पतलीकूहल ने स्थानीय लोगों और पंचायत प्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि अवैध शिकार को रोकने में सहयोग करें ताकि जलस्रोतों की रक्षा हो सके. निदेशक विवेक चंदेल के अनुसार विभाग मत्स्य संरक्षण के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
मजबूत बाजार, अच्छी कमाई
ट्राउट मछली की शहरी बाजारों में भारी मांग है. सेहत के प्रति जागरूक लोग इसे खास पसंद कर रहे हैं. ट्राउट मछली पालन करने वाले किसान इसे आमतौर पर 1000 रुपये प्रति किलो तक बेचते हैं. यदि मछली का आकार बड़ा हो तो यह कीमत 1500 रुपये प्रति पीस तक पहुंच जाती है. यानी किसान इस व्यवसाय से अच्छी आमदनी कर सकते हैं और पहाड़ों में रहने वाले युवाओं के लिए यह रोजगार का बेहतरीन जरिया बन सकता है.
सेहत और स्वाद दोनों में नंबर वन
ट्राउट मछली न केवल कमाई का साधन है बल्कि सेहत के लिहाज से भी बेहद फायदेमंद है. दिल के मरीज, कैंसर के रोगी और खून की कमी वाले लोगों को इसे खाने की सलाह दी जाती है. इसमें पाया जाने वाला फैटी एसिड शरीर के लिए काफी लाभकारी होता है. वहीं, इसका स्वाद भी लोगों को खूब लुभाता है. कुल्लू और मंडी के बरोट वैली में आने वाले सैलानी भी इसका स्वाद चखने जरूर पहुंचते हैं. खासकर सर्दियों में इसे रोस्ट कर खाने का चलन सबसे ज्यादा रहता है.