अगर आप देसी मुर्गी पालन कर रहे हैं और चाहते हैं कि मुर्गियां तंदुरुस्त रहें, जल्दी अंडा देना शुरू करें और लंबे समय तक उत्पादन करती रहें तो उनके खाने पर खास ध्यान देना जरूरी है. मुर्गी के हर विकास चरण में उसके शरीर की जरूरतें बदलती हैं. इसलिए ब्रूडिंग यानी चूजा के विकास से लेकर अंडा देने तक की स्थिति में पहुंचने के हर स्तर पर अलग-अलग फीड देना चाहिए. सही फीड न सिर्फ मुर्गी की सेहत बनाए रखता है, बल्कि अंडा उत्पादन भी दोगुना कर सकता है.
पहले 6 हफ्ते होते हैं अहम
मुर्गी के जीवन के पहले 6 हफ्ते बेहद अहम होते हैं, जिसे ब्रूडिंग पीरियड कहते हैं. इस दौरान उन्हें विशेष चिक स्टार्टर फीड दिया जाना चाहिए. इसमें वो सारे पोषक तत्व होते हैं जो उनके हड्डियों, पंखों और शरीर के सही विकास के लिए जरूरी हैं. अगर शुरुआत में फीड अच्छा नहीं होगा तो आगे चलकर मुर्गी कमजोर हो सकती है और अंडा उत्पादन भी घट सकता है.
बढ़ते चरण में दे साग-सब्जी और प्रोटीन वाला खाना
जब मुर्गी 6 हफ्ते के बाद खुली जगह में घूमने लगे तो उसका फीड थोड़ा बदलना चाहिए. इस समय उन्हें अजोला, सहजन और सुबबुल की पत्तियां, शहतूत, अंकुरित बीज और बेकार अनाज जैसे सस्ते और पौष्टिक विकल्प दिए जा सकते हैं. ये पत्तियां प्रोटीन से भरपूर होती हैं और मुर्गी की सेहत और अंडा देने की क्षमता दोनों को बढ़ाती हैं.
मौसम के अनुसार ऐसे बदलें फीड
बरसात या कटाई के मौसम में खेतों में कीड़े और फसलों के छिलके आसानी से मिलते हैं, जो मुर्गियों के लिए प्राकृतिक फीड का काम करते हैं. लेकिन शुष्क मौसम में पोषण की कमी हो सकती है. ऐसे में रसोई का बचा हुआ खाना (जैसे सब्जी के छिलके) और सरसों की खली देना फायदेमंद होता है. ये शरीर के वजन को बनाए रखने और अंडे की संख्या बढ़ाने में मदद करते हैं.
घरेलू फीड तैयार करने का तरीका
- 50 प्रतिशत अनाज (जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, टूटे चावल).
- 28 प्रतिशत चोकर (चावल या गेहूं की भूसी).
- 20 प्रतिशत तेल रहित खली (सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी या सरसों की खली).
- 2 प्रतिशत सप्लीमेंट (विटामिन और मिनरल पाउडर).
इसके अलावा, सुबह और शाम को मुर्गियों को एक-एक मुट्ठी अनाज या सब्जी के छिलके जरूर दें. इससे उनका वजन संतुलित रहेगा और अंडा उत्पादन लगातार बना रहेगा.