सेब, केला और आम जैसे फल एथिलीन नामक गैस छोड़ते हैं, जो पकने के प्रोसेस को तेज करता है जिससे फल जल्दी सड़ने लगते हैं. कागज में लपेटने से यह गैस सीमित दायरे में बनी रहती है और फल धीरे-धीरे पकते हैं, जिससे उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है.
खेतों से फल अक्सर अधपके तोड़े जाते हैं ताकि वे बाजार तक पहुंचते-पहुंचते सही तरीके से पक जाएं. कागज में लपेटने से फल अंधेरे में रहते हैं, जिससे वे तेजी से और संतुलित रूप से पकते हैं.
फलों में मौजूद नमी और बाहर से आने वाला मॉइश्चर उन्हें जल्दी खराब कर सकता है. कागज इस नमी को सोखकर फलों को सूखा और ताजा बनाए रखने में मदद करता है, जिससे वे लंबे समय तक खराब नहीं होते.
खेतों से दुकानों तक आते समय फल एक-दूसरे से टकराकर दब सकते हैं या उन पर निशान पड़ सकते हैं. कागज एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है, जो फलों को चोट या स्क्रैच से बचाता है.
खुले में रखे फलों पर धूल, मिट्टी और मक्खियां जल्दी लगती हैं. कागज की परत फलों को इन बाहरी तत्वों से बचाती है. हालांकि, घर लाकर इन्हें धोना जरूरी है.
कागज, प्लास्टिक की तुलना में बायोडिग्रेडेबल होता है. इसलिए फलों को कागज में लपेटना न केवल उन्हें सुरक्षित रखता है, बल्कि पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने से भी रोकता है.