Gooseberry Best Varieties: आंवले की इन किस्मों से होगी बंपर कमाई, जान लें खेती का पूरा तरीका
दिसंबर के महीने में आंवला की खेती कर किसान भाई लाखों रुपए कमा सकते हैं. आंवले का पेड़ तीन साल के अंतराल में ही फल देने लगता है और एक पेड़ से लगभग 40 से 50 किलो तक फल प्राप्त किया जा सकता है. आंवले की कौन सी किस्में है बेहतर और कैसे कमाया जा सकता है मुनाफा जानिए इस रिपोर्ट में.
Amla Farming Tips: दिसंबर के महीने में आंवला की खेती करके किसान भाई लगभग 5 से 6 लाख रुपए कमा सकते हैं. आंवले का पेड़ तीन साल के अंतराल में ही फल देने लगता है और एक पेड़ से लगभग 40 से 50 किलो तक फल प्राप्त किया जा सकता है. आंवले की कौन सी किस्में है बेहतर और कैसे कमाया जा सकता है मुनाफा जानिए इस रिपोर्ट में.
Amla Farming: आंवला यानी इंडियन गूजबेरी ( Indian Gooseberry) एक ऐसी फसल है, जो औषधीय गुणों और बाजार में लगातार बढ़ती मांग के कारण किसानों के लिए बेहद मुनाफेदार साबित हो रही है. नवंबर का महीना आंवला लगाने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय मिट्टी में नमी और तापमान संतुलित रहता है, जिससे पौधों की जड़ें तेजी से विकसित होती हैं.
कम लागत, ज्यादा मुनाफा
आंवला का पेड़ तीसरे साल से फल देना शुरू कर देता है. एक स्वस्थ पेड़ से साल भर में 40 से 50 किलो तक फल मिलते हैं. बाजार में आंवला 25 से 40 रुपये प्रति किलो बिकता है. इसी वजह से किसान एक हेक्टेयर में आंवला लगाकर सालाना 5 से 6 लाख रुपये तक शुद्ध लाभ कमा सकते हैं.
क्यों बढ़ रही है आंवले की मांग
आंवला विटामिन–C का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है. इसके फलों का उपयोग अचार, जूस, मुरब्बा और कई तरह की दवाओं में किया जाता है. आंवला एनीमिया, घाव भरने, डायरिया, दांत दर्द और बुखार जैसी समस्याओं में भी प्रयोग होता है. इसके अलावा इससे शैम्पू, हेयर ऑयल, डाई, टूथपाउडर और क्रीम जैसे अनेक उत्पाद बनाए जाते हैं भारत में उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश आंवला उत्पादन के मुख्य क्षेत्र हैं.
दिसंबर में लगाने के लिए सर्वोत्तम किस्में
विशेषज्ञ किसानों को नवंबर में निम्नलिखित उच्च उत्पादक किस्में लगाने की सलाह देते हैं-
1. NA-7 (नरेंद्र आंवला-7): तेजी से बढ़ने वाली किस्म है, इसके फल बड़े और खट्टे-मीठे होते हैं. ये प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए बेहद उपयुक्त माने जाते हैं.
2. NA-9: बड़े, चमकदार और गूदेदार फल होता है और इसकी बाजार में सबसे ज्यादा मांग होती है.
3. चकैयाः पारंपरिक किस्म, हर प्रकार की मिट्टी में अच्छी पैदावार देती है और इस किस्म में रस अधिक होता है.
4. कृष्णा और कंचन: रोग-प्रतिरोधी और कम सिंचाई में भी अच्छी उपज देने वाली किस्में हैं.
5. फ्रांसिस: व्यावसायिक खेती के लिए प्रसिद्ध है और इसके बड़े और भारी फल होते हैं.
आंवला की खेती का सही तरीका
आंवले की खेती के लिए दोमट या हल्की दोमट मिट्टी सबसे बेहतर रहती है. खेत को अच्छी तरह तैयार कर 10–15 टन गोबर की खाद मिलाएं. पौधों के बीच 8×8 मीटर की दूरी रखें, ताकि पेड़ फैल सकें और धूप मिले. नवंबर में पौधारोपण करने से सर्दियों से पहले पौधों की पकड़ मजबूत हो जाती है. शुरुआती छह महीनों तक हल्की सिंचाई जरूरी है. गर्मियों में 10–15 दिन के अंतर पर पानी दें और सर्दियों में महीने में एक बार पर्याप्त है. मल्चिंग करने से नमी बनी रहती है और खरपतवार कम उगते हैं.
लंबे समय तक आय देने वाली फसल
आंवला का पेड़ 25 से 30 साल तक फल देता है, जिसकी वजह से यह किसानों के लिए लंबे समय तक स्थायी आय का जरिया बन जाता है. चिकित्सा, खाद्य और ब्यूटी उद्योगों में इसके लगातार बढ़ते उपयोग के चलते बाजार में इसकी मांग पूरे वर्ष बनी रहती है.